स्वामी यतीन्द्रानन्द बोले, मंदिर के पुजारी और गुरुद्वारे के ग्रंथी को भी मौलवी की तरह सरकारी खजाने से मिले वेतन,

जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी यतीन्द्रनन्द गिरि महाराज ने कहा देश को विदेशी नहीं स्वदेशी कानून चाहिए। विदेशी कानून समाप्त होना चाहिए। यह बात उन्होंने रविवार की देरशाम गजरौला में मीडिया से बात करते हुए कही।

 

मुरादाबाद  : जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी यतीन्द्रनन्द गिरि महाराज ने कहा देश को विदेशी नहीं, स्वदेशी कानून चाहिए। विदेशी कानून समाप्त होना चाहिए। यह बात उन्होंने रविवार की देरशाम गजरौला में मीडिया से बात करते हुए कही।दिल्ली में जंतर मंतर पर एक कार्यक्रम में भाग लेकर हरिद्वार जाते समय गजरौला में कुछ देर के महाराज ठहरे।

यहां मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि ऐसा कानून हो जो भारत की संस्क्रति के अनुरूप हो। बोले कि बाबा साहब की मूल भावना भी यही थी कि भारत का कानून यहां की संस्क्रति को प्रकट करने वाला होना चाहिए। कहा कि भारत शब्द है। इसका कोई अनुवाद नहीं हो सकता। इंडिया शब्द समाप्त होना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि जन संख्या नियंत्रण को संसद में कानून बनना चाहिए। इसे राज्यों के ऊपर नहीं छोड़ना चाहिए।

बढ़ती जनसंख्या को सबसे बड़ी चुनौती बताते हुए कहा कि दुनिया की आबादी की बीस प्रतिशत आबादी भारत में है और संसाधन दुनिया के हिसाब से दो प्रतिशत ही हैं। इसी कारण बेड, अस्पताल की समस्या कोरोना काल मेंं देखने को मिली। इसे लेकर पीएम से मांग की गई है।वहीं से नियंत्रण किया जाना चाहिए।

एक देश, एक कानून, एक नागरिक के नारे को दोहराया।उन्होंने एक और मुददा उठाते हुए कहा कि मौलवियों की भांति मंदिर के पुजारी और गुरुद्वारे के ग्रंथी को भी सरकारी खजाने से तनख्वाह मिलनी चाहिए। मंदिर के पुजारी अपनी सनातनी विरासत को सहेजने की भूमिका निभाते हैं। ब्रह्मणों को लेकर एक सवाल के जवाब में कहा कि ब्रह्मण समाज राष्ट्रवादी सोच रखते हैं। वह किसी के बहकावे में नहीं आ सकते। इस मौके पर व्यापारी नेता सुबोध सिंघल, पंडित जितेंद्र मोहन शुक्ल, डॉ राजीव शुक्ला इत्यादि मौजूद रहे।

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