उत्तर प्रदेश की राजनीति में पिछड़ा वर्ग के बड़े नेता स्वामी प्रसाद मौर्य को हार काफी खल रही है। स्वामी प्रसाद मौर्य ने तो हार के बाद इसको जनता का फैसला बताया था लेकिन अब ईवीएम को दोष दे रहे हैं।
लखनऊ, उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे स्वामी प्रसाद मौर्य के सुर विधानसभा चुनाव में हार के बाद बदल गए हैं। भाजपा छोडऩे के बाद समाजवादी पार्टी में शामिल होने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य कुशीनगर के फाजिल नगर से विधानसभा का चुनाव लड़े। परिणाम आने के दिन तो हार स्वीकार कर ली, लेकिन अब वह ईवीएम पर सवाल उठा रहे हैं। उधर समाजवादी पार्टी उनको फिर से विधानसभा चुनाव लड़ाने की तैयारी में है।
इंटरनेट मीडिया पर सक्रिय हो चुके स्वामी प्रसाद मौर्य ने सोमवार को सोशल मीडिया एप कू पर लिखा कि ईवीएम पर सवाल उठाने के साथ मतगणना में धांधली का आरोप लगाया है। बहुजन समाज पार्टी के बाद भाजपा में कैबिनेट मंत्री रहे स्वामी प्रसाद मौर्य ने इस बार पाला बदला तो उनको हार झेलनी पड़ी। उत्तर प्रदेश के दिग्गज नेताओं में शुमार स्वामी प्रसाद मौर्य ने अपनी हार का ठीकरा ईवीएम पर फोड़ा है। स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि बैलेट पेपर की गिनती में समाजवादी पार्टी तो भाजपा से आगे ही रही। इसके बाद भाजपा जीत गई। उन्होंने कहा कि यह देखकर लगता है कि ईवीएम को लेकर कोई न कोई बड़ा खेल हुआ है।
स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि बैलेट पेपर की वोटिंग में समाजवादी पार्टी 304 सीटों पर जीती है, जबकि भाजपा मात्र 99 सीट पर ही जीत सकी। इसके बाद ईवीएम की गिनती में भाजपा चुनाव जीती। उन्होंने कहा कि बैलेट पेपर में हार के बाद ईवीएम से मतगणना में भाजपा का जीतने का मतलब सामने आने लगा है। उन्होंने कहा कि इसका मतलब है कोई न कोई बड़ा खेल हुआ है। हार के बाद उन्हें मतगणना में धांधली नजर आई। इसी कारण वह अब वो अब इस मसले को उठा रहे हैं।
स्वामी प्रसाद मौर्या ने विधानसभा चुनाव की तारीख घोषित होने के बाद भाजपा की सदस्यता छोड़कर सपा में एंट्री की थी। इसका बाद स्वामी प्रसाद मौर्य को कुशीनगर की फाजिलनगर सीट से मैदान में उतारा गया था लेकिन वह चुनाव हार गए।
स्वामी प्रसाद मौर्य के फाजिलनगर से विधानसभा का चुनाव हारने के बाद अब समाजवादी पार्टी उनको फिर से चुनाव लड़ाने की योजना बना चुकी है। स्वामी प्रसाद मौर्य को मैनपुरी के करहल से चुनाव के मैदान में उतारेगी। समाजवादी पार्टी ने उनका पूरा सम्मान बरकरार रखने की तैयारी कर ली है। उनको विधानसभा में भेजा ही जाएगा।