हल्की बारिश ने यह अहसास करा दिया है कि तेज से बारिश हुई तो तलैया जैसा ही नजारा दिखेगा। अपर मुख्य सचिव नगर विकास से लेकर कमिश्नर और अन्य अधिकारी भी जलभराव से निजात दिलाने के लए सड़क पर दिखे।
लखनऊ । मुंबई में बारिश के बाद का हाल किसी से छिपा नहीं है लेकिन ऐसे ही हालात लखनऊ में भी दिख सकते हैं। हल्की बारिश ने यह अहसास करा दिया है कि तेज से बारिश हुई तो तलैया जैसा ही नजारा दिखेगा। अपर मुख्य सचिव नगर विकास से लेकर कमिश्नर और अन्य अधिकारी भी जलभराव से निजात दिलाने के लए सड़क पर दिखे।
ड्रोन कैमरे से नालों की सफाई देखी गई तो वे गंदे मिले। ठेकेदार पर कार्रवाई हुई लेकिन हकीकत में शहरवासियों को इस कवायद का कोई लाभ नहीं मिला। नालों की सफाई में करीब दस करोड़ के खर्च का अनुमान है लेकिन हकीकत यह है कि सफाई में भ्रष्टाचार ही नालों में तैरता रहा। नाला और नालियां साफ न होने की शिकायतें शहरवासी करते रहे लेकिन नगर निगम के अधिकारी सुनने को तैयार नहीं थे।
महापौर ने भी कई बार सभी नालियों की सफाई का निर्देश दिया लेकिन हकीकत में भ्रष्टाचार की काई जमी रही। जलनिकासी में बाधक निर्माण को तोड़ने की मांग उठती रही है लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की।
यही कारण है तमाम दावों के बाद भी बुधवार को कुछ घंटे की बारिश में ही शहर की बदरंग तस्वीर दिखाई दी। बारिश तेजी के साथ मुश्किल से दो घंटे हुई होगी, लेकिन शाम तक हर कोई जलभराव से परेशान दिखा।
नालियों के ऊपर से भी नहीं हटते अवैध कब्जे : नालियों के ऊपर निर्माण करने वालों पर नगर निगम कोई कार्रवाई नहीं करता है और जलभराव का बड़े कारणों में यह निर्माण है। यह काम नगर निगम के अभियंताओं का है लेकिन वे नए निर्माण कराने में अधिक सक्रिय दिखते हैंं। एक तो इससे नालियों की सफाई नहीं हो पाती है तो दूसरी तरफ बारिश का पानी सड़क पर ही जाम रहता है और धीरे-धीरे ही नालियों में जा पाता है।
अगर कोई नाली के ऊपर अवैध निर्माण की शिकायत करता है तो नगर निगम के अभियंता अभद्रता करने लगते हैं। अब देखिए सी-499 सी इंदिरानगर निवासी विनोद प्रकाश का दर्द। नाली और फुटपाथ से हो रहे जलभराव की शिकायत उन्होंने तीन जून को दर्ज कराई थी। शिकायत संख्या 2021060384436 और 202106038416 पर दर्ज भी हो गई थी। इसके साथ ही मुख्यमंत्री हेल्प लाइन पर शिकायत संख्या 2021042899399 पर दर्ज कराई गई थी, जहां से नगर आयुक्त को कार्रवाई के लिए भेजा गया था लेकिन अभियंता अरुण मेहता ने कोई कार्रवाई तो नहीं की, बल्कि शिकायतकर्ता से अभद्रता करने के साथ ही मामले को दूसरे विभाग को ट्रांसफर करते रहे।
शिकायतकर्ता ने पार्षद दिलीप श्रीवास्तव पर भी आरोप लगाया है कि उन्होंने फुटपाथ बनते समय अवैध निर्माण को ही छुड़वा दिया। पार्षद का कहना है कि कोई फुटपाथ का निर्माण नहीं कराया गया है।
गली पिट भी बंद है :
नालियों में बनने वाली गली पिट भी बंद है या फिर उस पर कब्जे हो गए हैं। गली पिट खाली कराने का जिम्मा अभियंताओं का है। गली पिट से ही पानी भूमिगत ड्ेन में चला जाता है, जबकि उस कब्जा होने से बारिश का पानी सड़क पर ही जमा रहता है।
यहां करें शिकायत
अगर जलभराव होता है नगर निगम के कंट्रोल रूम के नंबर 1533, 9151055671, 91510556772, 9151055673 पर शिकायतें दर्ज की जाएंगी।
नाला सफाई
नगर निगम में तीन स्तरीय नालों की सफाई कराता है। आरआर विभाग बड़े 88 नालों की सफाई करता है, जिसका भी बजट पांच करोड़ है
इंजीनियङ्क्षरग विभाग का भी बजट छह करोड़ है, जो 536 नालों की सफाई ठेका प्रथा से कराता है
जबकि 900 छोटे नाले (एक मीटर चौड़े) की सफाई स्वास्थ्य के पास है, जिसे सफाई कर्मचारियों से कराया जाता है और इस बार कोई बजट अभी तक आवंटित नहीं है।