अग्निपथ पर भाजपा की अग्निपरीक्षा क्यों ले रहे नीतीश कुमार, अग्निवीरों पर ऐलान से दूरी; क्यों उठ रहे सवाल

सेना में भर्ती की नई स्कीम अग्निपथ के ऐलान के बाद से ही बिहार जल रहा है। मंगलवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और तीनों सेनाओं के प्रमुखों ने इस स्कीम का ऐलान किया था और अगले ही दिन बुधवार सुबह से बिहार में इसके खिलाफ प्रदर्शन शुरू हो गए। राज्य के पटना, सासराम, जमुई, सीतामढ़ी, रक्सौल, समस्तीपुर, हाजीपुर, बेतिया, आरा और छपरा समेत तमाम इलाके जल उठे। कहीं सेना भर्ती की नई स्कीम के विरोधियों ने ट्रेन को आग के हवाले कर दिया तो कहीं सड़कों पर उतरकर हिंसक प्रदर्शन हुए हैं। यही नहीं इस बीच बिहार पुलिस बहुत सक्रिय नहीं दिखी।

आंदोलनकारियों में शामिल उपद्रवियों ने नवादा और सासाराम में लगातार दो दिन भाजपा के दफ्तरों में तोड़फोड़ और आगजनी की है। डिप्टी सीएम रेणु देवी के घर पर तोड़फोड़ हुई तो प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल भी गुस्से से अछूते नहीं रहे। राज्य में भाजपा और जेडीयू की साझा सरकार है और नीतीश कुमार ने इस स्कीम को लेकर अब तक कुछ नहीं कहा है। हालांकि केसी त्यागी और राजीव रंजन सिंह जैसे नेता भारत सरकार से इस पर पुनर्विचार करने की बात कर चुके हैं। इसके अलावा भाजपा शासित राज्यों की तरह बिहार सरकार ने ऐसा कोई ऐलान भी नहीं किया है कि अग्निवीरों को 4 साल की सेवा के बाद राज्य की नौकरियों में प्राथमिकता दी जाएगी।

भाजपा को क्यों दबाव में लाना चाहते हैं नीतीश कुमार

नीतीश कुमार और उनकी सरकार के इस रवैये के चलते ही सवाल खड़े हो रहे हैं कि क्या वह अग्निपथ पर भाजपा की अग्निपरीक्षा ले रहे हैं। दरअसल आरजेडी ने खुले तौर पर इस स्कीम का विरोध किया है और शनिवार को इसके खिलाफ बिहार बंद का ऐलान किया है। जेडीयू ने भले ही आंदोलन जैसी बात नहीं की है, लेकिन उपद्रवियों पर ऐक्शन में भी ढीली नजर आई है। इसके अलावा स्कीम पर पुनर्विचार करने की बात भी कह दी है। साफ है कि गठबंधन में सब कुछ सहज नहीं है और नीतीश कुमार इस मसले पर भाजपा को दबाव में लाने के मूड में हैं।

अग्निपथ का क्या होगा बिहार की सियासत का असर

गौरतलब है कि नीतीश कुमार और भाजपा के रिश्तों में तनाव की अकसर खबरें आती रही हैं। पिछले दिनों आरसीपी सिंह के मसले पर भी दोनों के बीच मतभेद देखने को मिले थे। ऐसे में अग्निपथ स्कीम के बहाने क्या नीतीश कुमार भाजपा को दबाव में लाने की राजनीति कर रहे हैं। यह सवाल उठ रहा है। हालांकि यह देखना होगा कि आने वाले दिनों में बिहार की सियासत में इसका क्या असर देखने को मिलेगा।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *