युग के अनुसार संहार करने का तरीका बदलता रहा है! पर अफसोस की बात यह है कि हर युग में शैतानो का बचाव करने वाले भी होते रहे हैं ! कलियुग में अपराधियों का बचाव करने वाले कुछ ज्यादा ही हो गये हैं! उत्तर प्रदेश,लखनऊ,,, ( आवाज-ए-लखनऊ ; अनिल मेहता ) किसी भी अपराधी को ढूंढने में पुलिस को जितनी मेहनत करनी पड़ती है उससे अधिक मुश्किल उस अपराधी का अन्त करने में आती है! मानवाधिकार, न्यायालय, उस अपराधी के घर वालों का विरोध तमाम राजनीतिक दलों / संगठनो के विरोधों का सामना मीडिया के प्रश्नों का उत्तर देना आदि-आदि , शैतान हर युग में जन्म लेते रहे हैं और उनका संहार भी होता रहा है ! युग के अनुसार संहार करने का तरीका बदलता रहा है! पर अफसोस की बात यह है कि हर युग में शैतानो का बचाव करने वाले भी होते रहे हैं ! कलियुग में अपराधियों का बचाव करने वाले कुछ ज्यादा ही हो गये हैं! यह अलग बात है कि इस युग में उनकी वेशभूषा बदल गई है! परन्तु अपराधियों को बचाने की व्यवस्था बदस्तूर जारी है! और अपराधियों को बचाने वाले पूरे व्यवस्था में मौजूद हैं ! मजाक तब लगता है जब अपराधियों को बचाने वाले ही पुलिस पर अकर्मण्यता का आरोप लगाते हैं ! अगर पुलिस से बेहतर कार्य लेना है तो इस व्यवस्था को बदलना होगा ! पर अपराधियों को बचाने की व्यवस्था इतनी गहरी जड़े पकड़ चुकी हैं कि न सरकार,न प्रशासन, न ही पुलिस के उच्चाधिकारी इस नासूर को समाप्त कर सकते हैं ! इस व्यवस्था में कर्तव्यनिष्ठ, ईमानदार पुलिसकर्मी अपने को असहाय पा रहे हैं !