चारबाग रेलवे स्टेशन पर एक महिला ने टीटीई के वेष में टिकट जांचने का प्रयास किया लेकिन महिला टीसी ने उसकी पोल खोल दी स्टेशन अधीक्षक अरविंद बघेल ने महिला से पहचान पत्र मांगा तो पता चला कि उसका कर्मचारी क्रमांक पदनाम और तैनाती स्थल सभी फर्जी थे। महिला के खिलाफ जीआरपी थाने में मुकदमा दर्ज किया गया और पुलिस उससे पूछताछ कर रही है।
लखनऊ। आवाज़ -ए -लखनऊ ; चारबाग रेलवे स्टेशन के महिला प्रतीक्षालय में बैठी महिलाओं का टीटीई के वेष में टिकट जांचना जालसाज को भारी पड़ गया स्टेशन अधीक्षक अरविंद बघेल ने कथित महिला टीटीई से पहचान पत्र मांगा तो सामने आया कि महिला का कर्मचारी क्रमांक व पदनाम और उसका तैनाती स्थल लखनऊ सब फर्जी है। जीआरपी थाने में मुकदमा दर्ज कराया गया है और महिला से पूछताछ की जा रही है। स्टेशन अधीक्षक को मंगलवार सुबह करीब नौ बजे सूचना मिली कि एक महिला टीटीई के परिधान में यात्रियों का टिकट चेक कर रही है।

उन्होंने महिला का आईडी कार्ड मांगा गया, उसका नाम काजल सरोज पुत्री छोटेलाल सरोज निवासी ग्राम मालेपुर संत रविदास नगर (भदोही) अंकित था, उस पर कर्मचारी नंबर 20137081345 है। जानकारी करने पर इस नंबर और नाम का कोई टीटीई चेकिंग कैडर में पंजीकृत नहीं मिला स्टेशन अधीक्षक ने महिला आरक्षी की मदद से काजल को थाना जीआरपी के सुपुर्द किया, उनकी तहरीर एफआईआर दर्ज की गई जीआरपी प्रभारी निरीक्षक धर्मवीर सिंह ने बताया कि महिला से पूछताछ की जा रही है।
चारबाग स्टेशन पर यात्रियों की चेकिंग कर रही एक महिला टीसी महिला प्रतीक्षालय के वॉशरूम गई, वहां उन्होंने देखा कि एक महिला उन्हीं की वेशभूषा में टिकट जांच रही है, इसकी सूचना अधिकारियों को दी गई, जांच में वह फर्जी मिली रेलवे में टीटीई के पद पर सीधे नियुक्ति नहीं होती, महिला व पुरुष टीसी से प्रमोट होकर टीटीई बनते हैं, प्रमोशन पाने के लिए करीब 14 से 15 वर्ष लगते हैं। काजल की आयु महज 22 साल है, आई कार्ड पर उसकी जन्म तारीख 16 मार्च 2002 अंकित मिली रेलवे अपने कर्मचारियों का क्रमांक अलग तरीके से जारी करता है, जिस वर्ष कर्मचारी की तैनाती होती है वह सबसे पहले लिखा होता है, आईकार्ड में नियुक्ति तारीख 25 मार्च 2021 लिखा है, जबकि कर्मचारी क्रमांक की शुरुआत 2013 से हो रहा महिला का नियुक्ति स्थल लखनऊ दिखाया गया और आईकार्ड के अनुसार, करीब चार साल से वह यहां तैनात है, जबकि स्टेशन अधीक्षक ने ही महिला को इसके पहले कभी देखा नहीं था।
