अमेठी में महिला दारोगा रश्मि यादव की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी। बता दें कि रश्मि पहले बेसिक शिक्षा विभाग में शिक्षिका थी और बहराइच में तैनात थी। वहीं डायट में कार्यरत आरोपित सुरेंद्र से उसकी नजदीकी थी।
अमेठी, महिला उपनिरीक्षक रश्मि यादव को खुदकुशी के लिए उकसाने के आरोपित को पुलिस ने मंगलवार को गिरफ्तार कर लिया। पिता की तहरीर पर पुलिस ने सोमवार को आरोपित के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था। मोहनगंज थाने के आवास में महिला दारोगा रश्मि ने 22 अप्रैल को फांसी का फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली थी। दारोगा की मौत के बाद पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया था। एसपी दिनेश सिंह ने मौत को गंभीरता से लिया था।
पिता मुन्नालाल यादव निवासी मलौली थाना गोशाईगंज, लखनऊ की तहरीर पर पुलिस की कार्रवाई में तेजी आई। इसके पहले पुलिस काल डिटेल व अन्य साक्ष्यों के जरिए आरोपित तक पहुंचने की कोशिश कर रही थी। एसओ मोहनगंज अमर सिंह ने टीम के साथ नामजद आरोपी सुरेंद्र सिंह उर्फ रिशु निवासी सावित्री सदन न्यू कालोनी अंबेडकर मार्ग थाना क्वार्सी जिला अलीगढ़ को इन्होंहा चौराहे से मंगलवार को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस अधीक्षक दिनेश सिंह ने बताया कि आरोपित को गिरफ्तार कर लिया गया है। बेसिक शिक्षा विभाग में तैनाती के दौरान रश्मि व सुरेंद्र नजदीक आए थे।
रश्मि यादव पहले बेसिक शिक्षा विभाग में शिक्षिका के पद पर बहराइच जिले में कार्यरत थी। जहां डायट में कार्यरत सुरेंद्र के नजदीक वह आई। वही से उन दोनों का संबंध प्रगाढ़ का हो गया। पुलिस विभाग में आने के बाद भी दोनों के रिश्ते बने रहे। वे एक दूसरे से मोबाइल पर वार्ता करते रहे।
2017 में हुआ था दारोगा के पद पर चयन : रश्मि का चयन 2017 में उपनिरीक्षक के पद पर हुआ। तब वह शिक्षिका की नौकरी छोड़कर पुलिस महकमे में आ गई। नवंबर 2018 में रश्मि का अमेठी जिले में पोस्टिंग हुई थी। वह मोहनगंज थाने में कार्यरत थी। खुदकुशी के पहले उसका तबादला गौरीगंज में हुआ था। बतौर एसपी घटना के दिन वह दो बजे तक गौरीगंज सीओ के आफिस में थी।
सीडीआर से सुरेंद्र तक पहुंची पुलिस : पुलिस की ओर से रश्मि के मोबाइल से निकाली गई सीडीआर में पता चला है कि सुरेंद्र से उसके संबंध थे। कई बार बात भी हुई थी। मोबाइल फोन पर हुई बातचीत से आहत होने के बाद ही रश्मि ने शुक्रवार को खुदकुशी का रास्ता चुना। मृतका के पिता ने भी प्राथमिकी में रश्मि को परेशान करने की बात का जिक्र किया है। दारोगा के पिता पहले हत्या की बात कर रहे थे। वह तहरीर देने को भी तैयार नहीं थे। जब पुलिस ने उनके सामने साक्ष्य रखा तो वह रिपोर्ट दर्ज कराने को राजी हो गए।