कोरोना संकट के इस दौर में भारत अपने पड़ोसी देशों और दोस्तों के लिए कितना फिक्रमंद है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसने नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका और मॉरीशस समेत कई पड़ोसी देशों को बतौर गिफ्ट कोरोना वैक्सीन की लाखों डोज फ्री में ही दे दी है। ऐसा नहीं है कि भारत ने चीन की तरह बस नाम के लिए वैक्सीन देने की बात कही हो, बल्कि आबादी के हिसाब से एक पर्याप्त मात्रा में डोज उपलब्ध कराई है। मगर एक ओर चीन की गुलामी करने वाला पाकिस्तान है, जिसे अब तक समझ नहीं आ रहा है कि ड्रैगन थोड़ा सा प्रलोभन देकर उसका किस तरह अब तक इस्तेमाल करता आया है। चीन ने पाकिस्तान को महज 5 लाख वैक्सीन की डोज देने का ऑफर किया है। मगर उसकी सबसे बड़ी बेइज्जती तो उस वक्त हुई, जब चीन ने कहा कि अपना विमान लाओ और बीजिंग से वैक्सीन ले जाओ।
पड़ोसियों के लिए फिक्रमंद है भारत भारत के साथ दोस्ती का पड़ोसियों को कितना फायदा हुआ है, अब शायद इसका एहसास पाकिस्तान को भी हो रहा होगा। मगर जिल्लत की जिंदगी जी रहे पाकिस्तान मुंह खोलने में शर्मा रहा है। भारत ने करीब तीन करोड़ की आबादी वाले नेपाल को फ्री में ही कोरोना वैक्सीन की 10 लाख डोज दे दी है, मगर दूसरी ओर चीन है, जिसने करीब 21 करोड़ की आबादी वाले पाकिस्तान को ऊंट के मुंह में जीरा थमा दिया है। यानी चीन ने पाकिस्तान को महज 5 लाख वैक्सीन की खुराक देने की पेशकश की है और उसमें भी शर्त यह रखा है कि पाकिस्तान को अपने खर्चे पर ले जाना होगा
पाक को मिला ऊंट के मुंह में जीरा
हालांकि, नेपाल भी चीन की चंगुल में ही फंसा हुआ है, मगर इस कोरोना संकट में उसे समझ आ गया है कि उसका पुराना मित्र भारत ही उसकी मदद कर सकता है। यही वजह है कि उसने चीनी वैक्सीन को अब तक मंजूरी नहीं दी है, जबकि भारत से उसे 10 लाख की खुराक मिल भी गई है और वैक्सीनेशन शुरू भी हो चुका है। सिर्फ नेपाल ही नहीं, भारत ने बांग्लादेश, श्रीलंका, म्यांमार, भूटान समेत कई अन्य पड़ोसी देशों को भी वैक्सीन मुहैया कराई है। भूटान की आबादी करीब साढ़े सात लाख है, मगर भारत ने उसे सहयोग के तौर पर 1.5 लाख वैक्सीन की खुराकें दे दी है। वहीं, बांग्लादेश की आबादी करीब 16 करोड़ से अधिक है और उसे भी भारत की ओर से 20 लाख कोरोना की वैक्सीन मिली है। वहीं, आज श्रीलंका, अगर जनसंख्या के हिसाब से देखा जाए तो इन पड़ोसियों की भारत ने जिस तरह दिल खोलकर मदद की है, पाकिस्तान को उस हिसाब से तो चीन से कुछ भी नहीं मदद मिली है।