इमरान खान ने जेल से की रिहाई की मांग, दोषसिद्धि के खिलाफ इस्लामाबाद हाईकोर्ट में की अपील

इमरान खान ने इस्लामाबाद उच्च न्यायालय में अपनी दोषसिद्धि और तीन साल की जेल की सजा के खिलाफ अपील दायर की है। इमरान खान की याचिका में दावा किया गया है कि याचिकाकर्ता को अपना मामला लड़ने का मौका दिए बिना आदेश जारी किया गया था। इमरान खान ने आरोप लगाया है कि सुनवाई के समापन पर दिया गया फैसला पहले ही तैयार और लिखा जा चुका था।

 

इस्लामाबाद, एजेंसी। पाकिस्तान के जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने इस्लामाबाद उच्च न्यायालय में अपनी दोषसिद्धि और तीन साल की जेल की सजा के खिलाफ अपील दायर की है। तोशाखाना भ्रष्टाचार मामले में इमरान खान ने निचली अदालत द्वारा अपनी सजा को चुनौती देते हुए कहा कि पक्षपातपूर्ण न्यायाधीश का फैसला निष्पक्ष सुनवाई के चेहरे पर तमाचा और न्याय का घोर उपहास है। उल्लेखनीय है कि, 70 वर्षीय खान को इस्लामाबाद की एक ट्रायल कोर्ट द्वारा तोशखाना मामले में ‘भ्रष्ट आचरण’ का दोषी पाया था। पुलिस ने इमरान खान को 5 अगस्त को गिरफ्तार कर अटक जेल में बंद कर दिया है।

क्या है इमरान खान की याचिका में?

इमरान खान की याचिका में कहा गया है कि निचली अदालत के न्यायाधीश द्वारा दिया गया फैसला ‘पूर्वाग्रह से ग्रस्त है, कानून की नजर में अमान्य है और इसे रद्द किया जाना चाहिए।’ इसमें कहा गया है कि याचिकाकर्ता को अपना मामला लड़ने का मौका दिए बिना आदेश जारी किया गया था। खान ने आरोप लगाया कि अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायाधीश हुमायूं दिलावर ने तोशाखाना मामले में इमरान के वकील हारिस की दलीलें सुनने से यह कहकर इनकार कर दिया था कि वह देर से आए है। याचिका में दावा किया गया है कि वह सुप्रीम कोर्ट और इस्लामाबाद हाई कोर्ट में अन्य आवेदन दायर कर रहा था।

 

पहले ही तैयार और लिखा जा चुका था फैसला

इमरान खान ने आरोप लगाया कि सुनवाई के समापन पर दिया गया फैसला पहले ही तैयार और लिखा जा चुका था। यही कारण है कि फैसले की घोषणा के 30 मिनट के भीतर एक संक्षिप्त आदेश के माध्यम से 35 पेज का फैसला जारी किया गया। याचिका में इस्लामाबाद के जिला चुनाव आयुक्त को मामले में प्रतिवादी बनाया गया है। पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ ने विदेशी मीडिया पत्रकारों के व्हाट्सएप ग्रुप पर घोषणा की कि अदालत ने याचिका स्वीकार कर ली है और इसे बुधवार को सुनवाई के लिए तय किया है। आईएचसी ने खान के वकीलों को जेल में उनसे मिलने की अनुमति दी है।

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