INS विक्रांत युद्धपोत से ज्यादा तैरता हुआ एयरफील्ड है यह तैरता हुआ शहर है। इसमें जतनी बिजली पैदा होती है उससे 5000 घरों को रौशन किया जा सकता है। इसका फ्लाइंग डेक भी दो फुटबाल फील्ड से बड़ा है -प्रधानमंत्री मोदी
नई दिल्ली, आनलाइन डेस्क। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कोच्चि के कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड में INS विक्रांत देशसेवा में समर्पित किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘केरल के समुद्री तट पर पूरा भारत एक नए भविष्य के सूर्योदय का साक्षी बन रहा है। INS विक्रांत पर हो रहा यह आयोजन, विश्व क्षितिज पर भारत के बुलंद होते हौसलों की हुंकार है।’
मोदी ने INS विक्रांत की खासियतें बताते हुए कहा कि ‘यह युद्धपोत से ज्यादा तैरता हुआ एयरफील्ड है, यह तैरता हुआ शहर है। इसमें जतनी बिजली पैदा होती है उससे 5,000 घरों को रौशन किया जा सकता है। इसका फ्लाइंग डेक भी दो फुटबाल फील्ड से बड़ा है। इसमें जितने तार इस्तेमाल हुए हैं वह कोचीन से काशी तक पहुंच सकते हैं।’
INS विक्रांत महासागर में भारतीय नौसेना का तैरता हुए किला है। समंदर में एयरबेस की तरह काम करने वाला यह फाइटर जहाज है। इसमें विमानों के उड़ान भरने के लिए, उतरने के लिए लंबा-चौड़ा डेक होता है। इसके पास एयरक्राफ्ट को रखने, हथियारों से लैस करने, तैनात करने और एयरक्राफ्ट को आराम देने की तमाम सुविधाएं मौजूद हैं।
विक्रांत के सेवा में आने से भारत अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, चीन और फ्रांस जैसे उन चुनिंदा देशों के समूह में शामिल हो जाएगा जिनके पास स्वदेशी रूप से डिजाइन करने और एक विमान वाहक बनाने की क्षमता है। आईएनएस विक्रांत का निर्माण, भारत के प्रमुख औद्योगिक घरानों के साथ-साथ 100 से अधिक लघु, कुटीर एवं मध्यम उपक्रम (MSMEs) द्वारा आपूर्ति किए गए स्वदेशी उपकरणों और मशीनरी का उपयोग करके किया गया है।
प्रधानमंत्री मोदी ने भारतीय नौसेना के नए ध्वज का भी अनावरण किया।
इसके साथ ही उन्होंने कहा, ‘आज भारत ने, गुलामी के एक निशान, गुलामी के एक बोझ को अपने सीने से उतार दिया है। आज से भारतीय नौसेना को एक नया ध्वज मिला है। अब तक भारतीय नौसेना के ध्वज पर गुलामी की पहचान बनी हुई थी। लेकिन अब आज से छत्रपति शिवाजी से प्रेरित, नौसेना का नया ध्वज समंदर और आसमान में लहराएगा।’
जहाज में अत्याधुनिक चिकित्सा सुविधाओं के साथ पूरा मेडिकल परिसर है। इसमें प्रमुख माड्यूलर आपरेशन थिएटर, आपातकालीन माड्यूलर आपरेशन थिएटर, फिजियोथेरेपी क्लिनिक, ICU, प्रयोगशालाएं, सीटी स्कैनर, एक्स-रे मशीन, दंत चिकित्सा परिसर, आइसोलेशन वार्ड और टेलीमेडिसिन सुविधाएं आदि शामिल हैं।
यह स्वदेश निर्मित उन्नत हल्के हेलीकाप्टर (ALH) और हल्के लड़ाकू विमान (LCA) के अलावा मिग-29 के लड़ाकू जेट, कामोव-31 और एमएच-60 आर बहु-भूमिका वाले हेलीकॉप्टरों सहित 30 विमानों से युक्त एयर विंग को संचालित करने में सक्षम होगा।
एयरक्राफ्ट कैरियर तमाम फाइटर जहाजों और विध्वंसक पोतों के लिए छतरी की तरह होता है और मिशन पूरा करने में पूरी मदद करता है। उल्लेखनीय है कि इससे अलग-अलग तरह के 30 से अधिक एयरक्राफ्ट का संचालन किया जा सकता है।
1960 में ही भारतीय नौसेना को पहली बार विमानवाहक पोत सौंपा गया। ब्रिटेन से आयातित पोत का नाम विक्रांत ही था। अब यह रिटायर हो गया है। इसके ही नाम पर नए स्वदेशी पोत का नाम ‘विक्रांत’ पड़ा है। अब विक्रांत भारतीय नौसेना की शान बनकर हिंद महासागर में तैनात रहेगा।