ओमिक्रोन पर निगरानी रखने वाले केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि जिस तरह तीन हफ्ते में ओमिक्रोन अफ्रीका और यूरोप में हावी हो गया है उससे भारत में भी जनवरी तक इसके मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ने की आशंका है।
नई दिल्ली। देश में कोरोना की तीसरी लहर जनवरी से शुरू हो सकती है और ओमिक्रोन वैरिएंट इसका प्रमुख कारण बन सकता है। देश में ओमिक्रोन के मरीजों की तेजी से बढ़ती संख्या को देखते हुए यह आशंका प्रबल हो गई है और इसी कारण केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय कोरोना से जुड़े स्वास्थ्य ढांचे को फूलप्रूफ बनाने की कोशिश में जुट गया है। हालांकि ओमिक्रोन के कम घातक होने से मरीजों को दूसरी लहर की तरह अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत पड़ने की उम्मीद कम है।
भारत में ओमिक्रोन के मरीजों की संख्या बढ़कर 73 हुई
ओमिक्रोन पर निगरानी रखने वाले केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि जिस तरह तीन हफ्ते के भीतर ओमिक्रोन अफ्रीका और यूरोप में हावी हो गया है, उससे भारत में भी जनवरी तक इसके मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ने की आशंका है, जो तीसरी लहर का कारण बन सकता है। भारत में ओमिक्रोन के मरीजों की संख्या बढ़कर 73 हो गई है। वैसे अभी तक देश में मिले ओमिक्रोन वैरिएंट के अधिकांश मरीज ऐसे हैं, जो विदेश से आए हैं, लेकिन इससे आम जनता के बीच फैलने से रोकना संभव नहीं है।
डेल्टा से कई गुना अधिक तेजी से फैल रहा ओमिक्रोन
उन्होंने कहा कि देश में कोरोना की दूसरी लहर के लिए पूरी तरह से डेल्टा वैरिएंट जिम्मेदार है। अभी तक देश में आ रहे कोरोना पाजिटिव के लगभग सभी मामले डेल्टा के ही है। वहीं पहली लहर चीन के वुहान से निकले कोविड-19 के मूल वायरस से आई थी, जो सितंबर 2020 में पीक तक पहुंचने के बाद फरवरी 2021 तक धीरे-धीरे कम होती चली गयी थी।दिसंबर 2020 में पहली बार सामने आया डेल्टा वैरिएंट फरवरी 2021 से जोर पकड़ने लगा और मार्च से लहर का रूप धारण कर लिया। उन्होंने कहा कि डेल्टा से कई गुना अधिक तेजी से फैलने वाला ओमिक्रोन जनवरी से हावी होना शुरू हो सकता है।
तीसरी लहर के खतरे के बीच राहत की बात
ओमिक्रोन से तीसरी लहर के खतरे के बीच राहत की बात यह है कि इससे होने वाला संक्रमण हल्का (माइल्ड) है। वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार देश में तीन साल की बच्ची से लेकर 77 साल के बुजुर्ग तक ओमिक्रोन से संक्रमित मिले हैं, लेकिन किसी में भी गंभीर लक्षण नहीं है। उन्हें कोरोना वार्ड में सिर्फ आइसोलेशन के लिए रखा गया है। यदि आगे भी यदि ट्रेंड रहा तो दूसरी लहर की तरह न तो बड़ी संख्या में मरीजों को अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत पड़ेगी और न ही आक्सीजन व अन्य जरूरी दवाओं की कमी पड़ेगी। इसके बावजूद स्वास्थ्य मंत्रालय अपनी तैयारियों में कोई कमी नहीं रहने देना चाहता।
राज्यों के साथ लगातार बैठकें
स्वास्थ्य ढांचे को पूरी तरह दुरुस्त करने के लिए विभन्न स्तरों पर राज्यों के साथ लगातार बैठकें हो रही हैं। आइसीएमआर के महानिदेशक डाक्टर बलराम भार्गव के अनुसार ओमिक्रोन को समझने के लिए अभी और डाटा की जरूरत है। इसमें तीन हफ्ते का समय लगेगा। आइसीएमआर ने जुलाई में ही नवंबर से जनवरी के बीच तीसरी लहर की आशंका जता दी थी। साथ ही यह भी साफ किया था कि बडे़ पैमाने पर टीकाकरण और डेल्टा के फैलाव के कारण दूसरी लहर की तुलना में तीसरी लहर कमजोर होगी।