कन्या विवाह सहायता योजना के लिए ग्राम प्रधान व पार्षद का प्रमाणपत्र भी मान्य, शासन ने दी मंजूरी,

शादी के बाद आवेदन की समयसीमा छह माह से बढ़ाकर एक साल करने को मंजूरी। आवेदन के साथ विवाह के सुबूत के तौर पर यह प्रमाणपत्र भी अब मान्य होंगे। प्रमाणपत्र पर जारी करने वाले अधिकारी का पदनाम व मोबाइल नंबर भी दर्ज होना चाहिए।

 

लखनऊ, हरीश मिश्रा  उप्र भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड की कन्या विवाह सहायता योजना का लाभ पाने के लिए पंजीकृत निर्माण श्रमिक अब आवेदन पत्र के साथ विवाह होने की पुष्टि के बारे में ग्राम प्रधान या पार्षद या ग्राम पंचायत अधिकारी या राजस्व लेखपाल की ओर से जारी किया गया प्रमाणपत्र भी दे सकेंगे। आवेदन के साथ विवाह के सुबूत के तौर पर यह प्रमाणपत्र भी अब मान्य होंगे।

प्रमाणपत्र पर जारी करने वाले अधिकारी का पदनाम व मोबाइल नंबर भी दर्ज होना चाहिए। विवाह होने के सुबूत के तौर पर आनलाइन विवाह पंजीकरण प्रमाणपत्र भी आवेदन के साथ संलग्न किया जा सकता है। विवाह होने संबंधी (वर-वधू) फोटोग्राफ भी इस उद्देश्य के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। पंजीकृत निर्माण श्रमिकों की सुविधा के लिए शासन ने उप्र भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड को कन्या विवाह सहायता योजना की आवेदन प्रक्रिया में यह संशोधन करने के लिए अनापत्ति दे दी है।

अभी तक यह व्यवस्था न होने के कारण पंजीकृत निर्माण श्रमिकों को कन्या विवाह सहायता योजना के तहत आवेदन मंजूर कराने के लिए अधिकारियों के चक्कर लगाने पड़ते थे। इसमें समय भी लगता था और उनका शोषण भी होता था। इसलिए शासन ने अब बोर्ड को इस नई व्यवस्था को लागू करने के लिए अनापत्ति दे दी है। इसके अलावा शासन ने कन्या विवाह सहायता योजना के तहत विवाह संपन्न होने के बाद आवेदन करने की समयसीमा को छह महीने से बढ़ाकर एक साल करने के लिए भी अनापत्ति दे दी है। शासन की ओर से अनापत्ति दिये जाने के बाद बोर्ड शीघ्र ही इस बारे में अधिसूचना जारी करेगा।

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