अनिल मेहता”* जनता को बहुत सारे हसीन ख्वाब दिखाये गये जनता करीब 4 वर्षों से उपर होने को आ रहे हैं जनता नींद में उन ख़्वाबों में डूबी रही जब नींद टूटी तो जनता के ख़्वाब भी हवा हुये ! जनता ख्वाब में उ०प्र० की राजधानी लखनऊ में चमचमाती सड़कें देख रही थी गन्दगी का कहीं नामोनिशान नहीं था,पार्कों के शहर लखनऊ के सभी पार्क चमचमा रहे थे,बिजली विभाग बेहतरीन ढंग से काम कर रहा था,अस्पतालों में मरीजों को कोई दिक्कत नहीं थी ,कोरोना संक्रमित मरीजों को अॉक्सीजन सिलेंडर आसानी से मिल रहे थे जनता के एक फोन पर डाक्टर मदद के लिये उपस्थित हो जायेंगे आदि-आदि ! यह सब कोरे वादे ही निकले ! लखनऊ की जनता यह सब लखनऊ में ढूंढ रही है ! पर ख़्वाब तो केवल टूटने के लिये होते हैं वादे तो बड़े-बड़े हुये पर सारे वादों की हवा निकल गई हुक्मरान मस्त जनता पस्त,कसमें वादे प्यार वफा सब वादे हैं वादों का क्या?