किसानों के नाम पर बज रही अमीरों की शाहनाई, लखनऊ के सामुदायिक केंद्र में एलडीए के बाबुओं का खेल

ग्रामीणों ने बताया कि किसानों के नाम पर यहां अमीरों की शादियां होती हैं। किसानों को यह कहकर लविप्रा के बाबू वापस कर देते हैं कि बुकिंग पहले से है। जब बुकिंग की डिटेल मांगी जाती है तो संबंधित बुकिंग कराने वाला उक्त 12 गांवों का निकलता ही नहीं है।

 

लखनऊ,  लखनऊ विकास प्राधिकरण ने जानकीपुरम में किसानों के लिए सामुदायिक केंद्र बनाया था। सामुदायिक केंद्र का उद्देश्य था कि 12 गांव के किसान अपने मांगलिक कार्य कम पैसों में यहां कर सकते हैं। कई हजार वर्ग फिट में यहां लान की सुविधा है, इसके अलावा कमरे और अन्य सुविधाएं उपलब्ध हैं। अब यहां गरीबों की जगह जानकीपुरम व अन्य गांवों के संभ्रांत लोग अपनी मांगलिक कार्यक्रम करवा रहे हैं। यह मामला जब सचिव लविप्रा पवन कुमार गंगवार के पास पहुंचा तो उन्होंने जांच के आदेश दिए हैं और बुकिंग रजिस्टर तलब किया है।

स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि किसानों के नाम पर यहां अमीरों की शादियां होती हैं। किसानों को कई बार यह कहकर लविप्रा के बाबू वापस कर देते हैं कि बुकिंग पहले से है। जब बुकिंग की डिटेल मांगी जाती है तो संबंधित बुकिंग कराने वाला उक्त 12 गांवों का निकलता ही नहीं है। यहां बाबू व कुछ तथाकथित किसान नेता मिलीभगत करके बुकिंग करवाते हैं और सुविधा शुल्क लेकर पूरा खेल कर रहे हैं। साल में यहां सौ से अधिक शुभ कार्य होते हैं। 29 नवंबर को यहां ओमकार की शादी हुई, जो कुर्सी रोड स्थित बेनीगंज के निवासी थे। इसी तरह दिसंबर के प्रथम सप्ताह में छोटे लाल कनौजिया की शादी हुई और बुकिंग सिकंदरपुर के रहने वाले राम मिलन ने करवा दी। ग्रामीण कहते हैं कि अगर बुकिंग के दौरान खतौनी के साथ साथ दस रुपये के स्टंप पेपर पर शपथ पत्र और शादी कार्ड लेने की प्रकिया शुरू कर दी जाए तो कुछ हद तक यह खेल रुक सकता है।

बिजली विभाग के लाइनमैनों की भूमिका संदिग्ध : बिजली विभाग के लाइनमैनों ने यहां सुविधा शुल्क लेकर कटिया लगवाकर मांगलिक कार्यक्रम करवा दिए। सामुदायि केंद्र की बुकिंग के दौरान कम से कम बीस किलोवॉट का बिजली का अस्थायी कनेक्शन लेने का नियम है। इसकी फीस करीब सात हजार रुपये है। यह जमा न करके मिलीभगत से शादियां हुई। जांच की जाए और बुकिंग की तिथियां मिलाई जाए तो इसका खुलासा हो सकता है। खासबात है कि यहां जनरेटर आयोजक दिखाएंगे, लेकिन जनरेटर का इस्तेमाल हुआ ही नहीं। क्योंकि जनरेटर छोटे कार्यक्रमों में बिजली से ज्यादा महंगा पड़ता है।

लविप्रा के सच‍िव पवन कुमार गंगवार ने बताया क‍ि शिकायत आई है, पूरे मामले को दिखवाया जाएगा। अगर जांच में मामला सही मिलता है तो संबंधित बाबुओं के खिलाफ कार्रवाई होगी। यही नहीं आगे से और ठोस नियम बनेंगे।

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