अफगानिस्तान में अमेरिकी सैनिकों की वापसी बहुत जल्दबाजी में हुई है। ऐसे में अफगानिस्तान में इस तरह के हालात की कल्पना आसानी से की जा सकती है। इसके पूर्व अमेरिकी सरकार ने अफगानिस्तान के लिए अंतरिम सरकार की योजना बनाई थी जो खटाई में पड़ गई।
नई दिल्ली/काबुल, एजेंसी। अफगानिस्तान में अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद देश में राजनीतिक अस्थिरता और गृह युद्ध की स्थिति उत्पन्न हो गई है। अफगानिस्तान में एक बार फिर तालिबान और अफगान सरकार के बीच सत्ता संघर्ष शुरू हो गया है। तालिबान और अफगानिस्तान की सरकार की ओर से कई तरह के दावे किए जा रहे हैं। तालिबान का कहना है कि उसके लड़ाकों ने देश के 85 फीसद हिस्से पर अपना नियंत्रण कर लिया है। उधर, अफगानिस्तान की सरकार ने इसका खंडन किया है। इन सब के बीच अहम सवाल यह है कि आखिर अफगानिस्तान में आगे क्या होगा। भविष्य में अफगानिस्तान की तस्वीर कैसी होगी।
अमेरिकी सैनिकों की वापसी बहुत जल्दबाजी में हुई
- प्रो. हर्ष पंत का कहना है कि अफगानिस्तान में अमेरिकी सैनिकों की वापसी बहुत जल्दबाजी में हुई है। ऐसे में अफगानिस्तान में इस तरह के हालात की कल्पना आसानी से की जा सकती है। इसके पूर्व अमेरिकी सरकार ने अफगानिस्तान के लिए अंतरिम सरकार की योजना बनाई थी, जो खटाई में पड़ गई। उन्होंने कहा कि बाइडन प्रशासन ने अफगानिस्तान के हालात को देखते हुए अमेरिकी सैनिकों की वापसी की है।
- उन्होंने कहा कि अमेरिका के पास भी अफगानिस्तान छोड़ने के अलावा कोई विकल्प नहीं था, लेकिन उम्मीद की जा रही थी कि अमेरिका वहां एक स्थायी और स्थिर सरकार बनने के बाद अमेरिकी सैनिकों की वापसी करेगा। उन्होंने कहा कि लेकिन अफगानिस्तान में हालात तेजी से बदल रहे थे। ऐसे में बाइडन प्रशासन के पास कोई रास्ता नहीं था।
- उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में 90 के दशक के हालात पैदा हो सकते हैं। तालिबान का अफगानिस्तान में वर्चस्व तेजी से बढ़ रहा है। इससे देश में पूर्व के हालात पैदा हो सकते हैं। इसके चलते दूसरे नस्लीय और जाति समूह देश के दूसरे हिस्सों में नियंत्रण रखेंगे। यह स्थिति 90 के दशक में पैदा हुई थी। उन्होंने कहा कि निश्चित रूप से यह हालात रूस और भारत के लिए चिंता का विषय है, क्योंकि दोनों देशों की सीमा अफगानिस्तान से मिलती है। ऐसे में दोनों देशों की चिंता आतंकवादी गतिविधियां बढ़ सकती है।
इस्लाम कला और तोरघुंडी पर तालिबान की दिलचस्पी
खास बात यह है कि इस सप्ताह अमेरिकी सैनिक चुपचाप बगराम एयरफील्ड को छोड़कर चले गए। ये हवाई अड्डा अफगानिस्तान में अमेरिकी अभियान का केंद्र रहा है। यहां एक समय दसियों हजार सैनिक रहते थे। वहीं अफगानिस्तान के अधिकारियों ने इस्लाम कला और तोरघुंडी के तालिबान के हाथों में जाने की पुष्टि की है। इस्लाम कला सीमा चौकी ईरान और अफगानिस्तान के बीच होने वाले व्यापार का केंद्र भी है। यहां से सरकार को हर महीने लगभग 2 करोड़ डॉलर का राजस्व मिलता है। वहीं तोरघुंडी शहर तुर्कमेनिस्तान और अफगानिस्तान के बीच व्यापार की अहम कड़ी है।