कोरोना वायरस से बच्चों का जीवन बचाने के लिए कनाडा ऐसा पहला देश बना है जिसने 12-15 वर्ष की आयु के किशोरों के लिए टीकाकरण अभियान की शुरूआत की है। आपको बता दें कि अमेरिका भी इसकी इजाजत दे चुका है।
टोरंटो (रॉयटर्स)। पूरी विश्व में घातक हो रहे कोरोना संक्रमण को देखते हुए कनाडा ने इस जानलेवा महामारी से 12 से 15 वर्ष की आयु के बच्चों के जीवन को सुरक्षित करने के लिए वैक्सीनेशन प्रोग्राम शुरू किया है। इस तरह से बच्चों का वैक्सीनेशन शुरू करने वाला कनाडा विश्व का पहला देश बन गया है। इनको फाइजर कंपनी की वैक्सीन लगाई जाएगी। आने वाले कुछ समय में जर्मनी की कंपनी बायोएनटेक भी यूरोप में 12 से 15 वर्ष के बच्चों के लिए वैक्सीन लॉन्च करने वाली है। आपको बता दें कि अमेरिका ने भी बच्चों के लिए वैक्सीनेशन की इजाजत दे दी है।
भारत की ही बात करें तो भारत बायोटेक 2-18 साल के बच्चों पर अपनी कोविड वैक्सीन कोवैक्सीन का जल्द ही दूसरे और तीसरे चरण का क्लीनिकल ट्रायल शुरू करने वाली है। कोविड महामारी की रोकथाम को लेकर गठित विशेषज्ञों की समिति ने इसके ट्रायल की संस्तुति दे दी। गौरतलब है कि भारत में फिलहाल 18 वर्ष से 45 वर्ष की आयु वर्ग के लिए वैक्सीनेशन शुरू किया गया है।
भारत में चरणबद्व तरीके से वैक्सीनेशन की शुरुआत हुई थी जिसमें सबसे पहले 60 वर्ष से ऊपर आयु वर्ग के लोगों को शामिल किया गया था। इसके अलावा इसमें कोरोना से फ्रंट लाइन पर लड़ रहे वर्कर्स को भी शामिल किया गया था। इसके बाद इसके बाद 45-60 वर्ष के आयु वर्ग की शुरुआत की गई और फिर अब 18-45 वर्ष के आयु वर्ग के लिए वैक्सीन लगाने की शुरुआत हो चुकी है। इसके लिए सभी को पहले रजिस्ट्रेशन करवाना होता है।
कोरोना महामारी की आने वाली लहर और इससे बच्चों पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव को रोकने के लिए एस्ट्राजेनेका भी अपनी एक वैक्सीन का परीक्षण छह माह से अधिक उम्र के बच्चों पर परीक्षण की शुरुआत कर चुकी है। इसी तरह से जॉनसन एंड जॉनसन कंपनी बच्चों पर इस्तेमाल होने वाली अपनी वैक्सीन का क्लीनिकल ट्रायल शुरू करने वाली है। ऐसे ही नोवावैक्स ने 12-17 आयुवर्ग के बच्चों पर वैक्सीन के ट्रायल की शुरुआत कर दी है। हालांकि इन सभी के ट्रायल के अंतिम रूप में पहुंचने में अभी समय लगेगा।
कनाडा ने फाइजर की जिस कंपनी की वैक्सीन को बच्चों पर लगाने की इजाजत दी है उसको इस वायरस पर सौ फीसद कारगर बताया गया है। कंपनी ने इसकी शुरुआत में ट्रायल के दौरान करीब 2260 बच्चों को वैक्सीन की पहली डोज दी थी। इसकी दूसरी डोज तीन सप्ताह के अंतराल पर दी थी। बच्चों को वैक्सीन की प्लाज्मा डोज दी गई थी, जो दरअसल वैक्सीन का अससल रूप नहीं होता है। इस ट्रायल में पता चला कि वैक्सीन सिप्टोमैटिक कोरोना मामलों में 100 फीसद तक कारगर है। फाइजर ने मार्च में 5-11 वर्ष की आयु के बच्चों पर वैक्सीन का ट्रायल शुरू किया था। इसके अलावा कंपनी ने अप्रैल में 2-5 वर्ष के शिशुओं पर भी इसका ट्रायल शुरू किया है। कंपनी का कहना है कि उसको इसके बेहतर नतीजे मिले हैं।