वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि वैश्विक महामारी कोविड-19 के दौरान वाहिकी संबंधी रोग (वैस्कुलर डिजीज) होने की वजह रक्त वाहिनी में वायरल संक्रमण होना नहीं है। चूंकि कोविड-19 (सार्स-को-वि-2) वायरस के कारण शरीर की रक्तवाहिनी में संक्रमण नहीं होता है।
सिडनी, आइएएनएस। वैश्विक महामारी कोविड-19 के दौरान वाहिकी संबंधी रोग (वैस्कुलर डिजीज) होने की वजह रक्त वाहिनी में वायरल संक्रमण होना नहीं है। चूंकि कोविड-19 (सार्स-को-वि-2) वायरस के कारण शरीर की रक्तवाहिनी में संक्रमण नहीं होता है। बल्कि विज्ञानियों के ताजा शोध के मुताबिक कोविड-19 के मरीज में खून के थक्के (ब्लड क्लाटिंग) होने का खतरा बढ़ जाता है। अक्सर खून के थक्के के कारण ही कोरोना संक्रमण के मरीजों को हृदय संबंधी गंभीर रोगों का सामना करना पड़ता है।
क्वींसलैंड यूनिवर्सिटी के विज्ञानियों के अनुसार कोविड के मरीजों में खून के थक्के बनने की परेशानी ज्वलनशीलता (इनफ्लेमेशन) से होती है। यह ज्वलनशीलता वायुमार्ग की संक्रमित कोशिकाओं के कारण होती है। इस संक्रमण का कारण रक्तवाहिनी नहीं होती जैसे पहले समझा जाता था। यूक्यू इंस्टीट्यूट में मालीक्यूलर बायोसाइंस की एमा गार्डन के अनुसार अस्पताल में भर्ती किए गए कोरोना संक्रमण के कम से कम 40 फीसद मरीजों में खून के थक्के बनने के अत्यधिक खतरा होता है।
इसीलिए सामान्य रूप से उनके इलाज के दौरान उनके खून को पतला करने के लिए समुचित उपाय किए जाते हैं। उन्होंने बताया कि यह देखने के लिए भी कई शोध हुए हैं कि कोरोना वायरस का असर रक्तवाहिनी के अंदर की सतह या उसकी कोशिकाओं में होता है या नहीं। ‘क्लीनिकल एंड ट्रांसलेशनल इम्यूनोलाजी’ में प्रकाशित इस शोध से वायरस और रक्तवाहिनी के बीच के संबंधों का स्पष्ट स्वरूप पता चलता है।