फर्जी बैंक खाता लिंक कर संविदा कर्मचारियों की भविष्यनिधि पार करने वाले एक गैंग का क्राइमब्रांच टीम ने राजफाश किया है। इसमें आउट सोर्सिंग में कर्मचारी मुहैया कराने वाली कंपनियों के कर्मचारी द्वारा बैंकों से मिलीभगत करके भविष्य निधि की रकम हड़पने की बात सामने आई है।
कानपुर, केस्को व अन्य विभागों में संविदा कर्मचारियों की भविष्यनिधि धोखे से निकालने के मामले में क्राइम ब्रांच ने एक अभियुक्त को दबोच लिया है। टीम ने उसका लैपटाप और मोबाइल पुलिस ने जब्त कर लिया है। दोनों की डिटेल निकालने की कोशिश की जा रही है, ताकि आगे की कड़ियां जोड़ी जा सकें। इधर पीड़ितों ने आरोपित के खिलाफ तहरीर दी है। जिसके आधार पर पुलिस कर्नलगंज थाने में मुकदमा दर्ज किया है।
फर्जी बैंक खाता लिंक कर संविदा कर्मचारियों की भविष्यनिधि पार करने वाले एक गैंग का क्राइमब्रांच टीम ने राजफाश किया है। इसमें आउट सोर्सिंग में कर्मचारी मुहैया कराने वाली कंपनियों के कुछ कर्मचारी द्वारा बैंकों से मिलीभगत करके भविष्य निधि की रकम हड़पने की बात सामने आई है। अब तक करीब 236 कर्मचारियों का करीब एक करोड़ रुपया निकाला गया है।
क्राइम ब्रांच में इस प्रकरण में शामिल मुकुल दुबे उर्फ रियांस निवासी पीरोड सीसामऊ को दबोचा है। अभियुक्त ने कई कर्मचारियों से संपर्क किया और उनके पीएफ निकलवाने में मदद का भरोसा दिया था। जिन कर्मचारियों से उसने संपर्क किए, उनमें से कई के पीएफ अकाउंट खाली हैं। पीड़ित कर्मचारियों की ओर से क्राइम ब्रांच को तहरीर दी गई है। पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर आगे की कार्रवाई शुरू कर दी है। रियांस के मोबाइल व लैपटाप जब्त कर लिए गए हैं। उसके डिटेल खंगाले जा रहे हैं।
इस तरह से लोगों को बनाया शिकार: रियांस ने लोगों से संपर्क किया और उनके मोबाइल नंबर व अन्य डिटेल लेकर फर्जी खाते खुलवाए और उनका एक्सेस अपने पास ले लिया। रियांस ने लाकडाउन के दौरान कई माह ईपीएफ कार्यालय में काम भी किया और वर्क फ्राम होम करके काफी सारी जानकारी वहां से जुटा ली थी। पुलिस रियांस से पूछताछ कर रही है।
आधा दर्जन बैंकों के नाम: क्राइम ब्रांच ने इस संबंध में केस्को के पीड़ित कर्मचारियों से पूछताछ की और उनके दस्तावेज देखे तो आधा दर्जन बैंकों की मिलीभगत सामने आई है। दस्तावेजों के मुताबिक इलाहाबाद बैंक, यश बैंक, पंजाब एंड सिंध बैंक, स्टेट बैंक, यूनियन बैंक आफ इंडिया, बैंक आफ इंडिया में फर्जी खाते खोले गए हैं। इससे अंदेशा है कि यह किसी बड़े गिरोह का काम है।
दिल्ली-मुंबई से जुड़ रहे तार: एक वर्ष पूर्व दिल्ली कार्यालय से करोड़ों रुपये निकाले गए थे। एक माह पूर्व मुंबई के कांदीवली कार्यलय से 37 करोड़ रुपये निकाले जाने की भी जानकारी मिली है। इस मामले में भी क्राइम ब्रांच जांच कर रही है। उम्मीद है कि अभी करोड़ों का गोलमाल सामने आ सकता है।