क्रेडिट कार्ड कंपनियों को ओर से कई तरह से चार्ज वसूले जाते हैं जिनके बार में एक क्रेडिट कार्डधारक को जरूर पता होना चाहिए। इस रिपोर्ट में हम ऐसे चार्जेस के बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं।
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। क्रेडिट कार्ड आज के समय में लोगों की दिनचर्या का एक अहम हिस्सा हो गया है। लोग अपने दैनिक खर्चों को पूरा करने के लिए क्रेडिट कार्ड का प्रयोग करते हैं। वहीं, कार्ड कंपनियों की ओर से ग्राहकों को डिस्कांउट और रिवार्ड पॉइंट जैसे लाभ भी दिए जाते है। हालांकि, इसकी एवज में ग्राहकों से कई तरह के चार्जेस भी लिए जाते हैं, जिनके बारे में एक क्रेडिट कार्ड यूजर को जरूर पता होना चाहिए, जिससे आप अपने हजारों रुपये बचा सकें।
ओवरसीज ट्रांजैक्शन चार्जअगर आप अपने क्रेडिट कार्ड से विदेशों में जाकर ट्रांजैक्शन करते हैं। तो ये चार्ज क्रेडिट कंपनियों की ओर से प्रति ट्रांजैक्शन के हिसाब से लिया जाता है। यह आपके ट्रांजैक्शन की वैल्यू का एक से तीन प्रतिशत के बीच हो सकता है। ओवरसीज ट्रांजैक्शन में आपसे करेंसी कन्वर्जन फीस भी ली जाती है, जोकि एक से दो प्रतिशत के बीच होती है।
एनुअल फीसहर कार्ड कंपनी की ओर से जारी किए गए क्रेडिट कार्ड पर प्रति वर्ष एक चार्ज लिया जाता है, जिसे एनुअल फीस के नाम से जाना जाता है। यह फिक्स होती है। हालांकि, कुछ मामलों में जैसे कंपनी द्वारा दी गई शर्तों को पूरा करने पर ये फीस माफ भी कर दी जाती है।
क्रेडिट कार्ड पर कंपनियों की ओर से ग्राहकों को नकद निकासी की सुविधा दी जाती है, लेकिन क्रेडिट कार्ड से नकद निकाली गई राशि पर पहले दिन से ही कंपनियां द्वारा ब्याज वसूला जाता है। कोई भी क्रेडिट कार्डधारक अपनी लिमिट का 20 से 40 प्रतिशत तक ही नकद निकाल सकता है।
ओवर लिमिट चार्जकंपनियां क्रेडिट कार्ड पर ग्राहकों के भुगतान करने की क्षमता के आधार पर लिमिट देती हैं। कई बार देखा जाता है कि ग्राहक अपनी लिमिट से ज्यादा क्रेडिट कार्ड से खर्च कर देते हैं, जिस पर कंपनियों की ओर से ओवर लिमिट चार्ज लिया जाता है। ऐसा करने से आपका क्रेडिट स्कोर भी प्रभावित होता है। ऐसे में आपको क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करते समय अपनी लिमिट का ध्यान रखना चाहिए। आमतौर पर अपनी क्रेडिट लिमिट का 40 प्रतिशत तक खर्च करना अच्छा माना जाता है।