घाटी में कैसे होगा आतंकियों का सफाया, सेना ने अपनाया 13 साल पुराना पैटर्न

राजौरी जिले का उप जिला कालाकोट जिसकी सीमाएं रियासी जिले से लगती है इस क्षेत्र में आतंकियों की हमेशा से ही तूती बोली-बोली जाती रही। पांच जून 2020 को कालाकोट के मियाड़ी क्षेत्र में आतंकियों की सूचना पर अभियान चलाया गया जिसमें एक विदेशी आतंकी को आरआर के जवानों ने ढेर कर दिया। इसके फिर से क्षेत्र में शामिल का माहौल बन गया

 

राजौरी, राजौरी जिले का उप जिला कालाकोट जिसकी सीमाएं रियासी जिले से लगती है इस क्षेत्र में आतंकियों की हमेशा से ही तूती बोली-बोली जाती रही। इस इलाके में आतंकी घटना को अंजाम देने के बाद आतंकी बड़ी आसानी से रियासी जिले से होते हुए कश्मीर पहुंच जाते और फिर से वापस इसी क्षेत्र में आकर अपनी गतिविधियों को अंजाम देने लग जाते।

दस विदेशी आतंकी किए थे ढेर

वर्ष 2010 के अप्रैल व मई के माह में इसी क्षेत्र में सेना की आरआर बटालियन द्वारा दस विदेशी आतंकियों को ढेर कर दिया था। यह सभी आतंकी क्षेत्र में बड़ी वारदात को अंजाम देने की फिराक में थे। इस दौरान आरआर का जवान सिलेश कुमार भी बलिदान हो गया था। इसके बाद से दस वर्ष तक पूरे क्षेत्र में शामिल रही। पांच जून 2020 को कालाकोट के मियाड़ी क्षेत्र में आतंकियों की सूचना पर अभियान चलाया गया जिसमें एक विदेशी आतंकी को आरआर के जवानों ने ढेर कर दिया। इसके फिर से क्षेत्र में शामिल का माहौल बन गया और अब फिर से पिछले दो तीन माह से इस क्षेत्र में आतंकी हलचल तेज हो गई। जवानों ने क्षेत्र को बनाया आतंक मुक्त

 

पिछले डेढ़ माह में सुरक्षा बलों ने पांच आतंकियों को ढेर कर दिया है जबकि क्षेत्र में अभी भी कुछ आतंकी मौजूद है इसकी जानकारी सुरक्षा बलों के पास है और उनके सफाए के लिए दिन रात अभियान चलाया जा रहा है। इस बार भी आतंकियों ने कालाकोट क्षेत्र को ही चुना क्योंकि यहां से किसी भी वारदात को अंजाम देने के बाद आतंकी सुरक्षित या तो कश्मीर निकल जाते है या यहीं से रियासी जिले के जंगलों में जाकर आसानी से छिप सकते है। अब एक बार फिर से 2010 की तरह ही सुरक्षा बलों ने क्षेत्र में छिप कर बैठे आतंकियों को ठिकाने लगाने के लिए बड़े पैमाने पर अभियान को छेड़ दिया है। उम्मीद है कि जल्द ही एक बार फिर से क्षेत्र को आतंक मुक्त कर दिया जाएगा।

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