घास की रोटी खाकर परमाणु बम बनाने वाले पाकिस्तान को पड़ रहे खाने के लाले, आटे के लिए भगदड़

पाकिस्तान में महंगाई से त्राहिमाम मचा हुआ है। लोग भूखे मर रहे हैं। ऐसे वक्त में पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो का एक बयान बहुत चर्चा में है जब उन्होंने कहा था कि घास की रोटी खाकर भी परमाणु बम बनाएंगे।

 

इस्लामाबाद, ऑनलाइन डेस्क। पाकिस्तान में महंगाई से त्राहिमाम मचा हुआ है। लोग भूखे मर रहे हैं। लोगों को खाना नहीं मिल रहा है। खासकर पाकिस्तान के गिलगित और बाल्टिस्तान में आर्थिक संकट से हालात बुरे हैं। यहां आटे के लिए भगदड़ तक मच चुकी है, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। ऐसे वक्त में पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो का एक बयान बहुत ज्यादा चर्चा में है, जब उन्होंने कहा था कि घास की रोटी खाकर भी परमाणु बम बनाएंगे।

जुल्फिकार अली भुट्टो का बयानदरअसल, भारत पाक युद्ध में जब पाकिस्तान की हार हुई थी, तब भुट्टो ने कहा था कि चाहे हमें घास की रोटियां खानी पड़ें, हम परमाणु बम बनाकर ही मानेंगे। हालांकि पाकिस्तान ने परमाणु बम तो बना लिया है, लेकिन महंगाई ने उसकी कमर तोड़ दी है और आलम यह है कि लोग अब आटे के लिए लड़ रहे हैं।

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बता दें कि पाकिस्तान में महंगाई के साथ-साथ ही विरोध प्रदर्शन भी जारी है। गिलगित बाल्टिस्तान में पिछले कई दिनों से विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। प्रदर्शनकारी सरकार विरोधी नारे लगा रहे हैं और पीओके को भारत में जोड़ने की मांग कर रहे हैं। इसके साथ ही महंगाई को लेकर भी लोगों में गुस्सा है। लोग गेहूं जैसे बुनियादी वस्तुओं पर सब्सिडी देने की मांग कर रहे हैं। साथ ही प्रदर्शनकारी आरोप लगा रहे हैं कि पाकिस्तानी सेना गिलगित बाल्टिस्तान की जमीन पर अवैध रूप से कब्जा कर रही है।

 

वस्तुओं की कीमत आसमान छू रहीपाकिस्तान में महंगाई का आकलन इससे लगाया जा सकता है कि देश में सरसों तेल की कीमत 374.6 प्रति लीटर से 532.5 रुपये, दूध की कीमत 114.8 प्रति लीटर से 149.7 रुपये प्रति लीटर तक पहुंच चुकी है। जबकि, देश में प्याज के भाव 220 पाकिस्तानी रुपए प्रति किलो तक पहुंच गए हैं। पाकिस्तान में कमर तोड़ महंगाई से आम जनता परेशान हैं।

पाकिस्तान को मिली मदद बता दें कि पाकिस्तान की आर्थित स्थिति को देखते हुए विश्व के कई देशों ने मदद का हाथ बढ़ाया है। पाकिस्तान की मदद के लिए चीन, अमेरिका, ब्रिटेन, जापान, यूएई सहित कई देश आगे आए हैं।

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