चित्रकूट में वो पांच पावन स्थान जहां अंकित हैं भगवान श्रीराम और माता सीता के चरण चिह्न

चित्रकूट में प्रभु श्रीराम ने माता सीता और भ्राता लक्ष्मण के साथ वनवास के साढ़े ग्यारह वर्ष बिताए थे। यहां स्फटिक शिला व जानकीकुंड माता सीता की विहार स्थली थी तो गुप्त गोदावरी और भरत मिलाप भी प्रमुख हैं।

 

चित्रकूट, आस्था का केंद्र प्रभु श्रीराम तपोभूमि वही स्थान है, जहां कभी भगवान राम ने देवी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ अपने वनवास के साढ़े ग्यारह वर्ष बिताए थे। यहां इतनी लंबी अवधि तक निवास के साक्ष्य के रूप में चित्रकूट की भूमि राम, सीता और लक्ष्मण के चरण चिह्न अंकित है। जानकीकुंड में सीता मंदाकिनी में नित्य स्नान पूजा करती थीं, स्फटिक शिला में मंदाकिनी के किनारे बैठकर सौंदर्य को निहारती थी तो गुप्त गोदावरी को भगवान राम ने माता सीता के लिए लेकर आए थे। आज जानकी नौवीं है इस अवसर पर देश को कोने-कोने से सैलानी चित्रकूट आते हैं और माता सीता (जनकी) से जुडे स्थलों के दर्शन कर हैं।

 

1-स्फटिक शिला : यह विशाल शिला घने जंगली क्षेत्र में मंदाकिनी तट पर स्थित है। माना जाता है कि इस शिला में भगवान राम व सीता के पैरों के निशान मुद्रित हैं। स्फटिक शिला पर बैठकर भगवान राम और मां सीता चित्रकूट की प्राकृतिक सुंदरता को निहारा करते थे। यहीं पर उन्होंने मानव रूप में कई लीलाएं कीं। इसी स्थान पर राम ने फूलों से बने आभूषण से मां सीता का श्रृंगार किया था। मान्यता है कि जब सीता इस शिला पर बैठीं थी, जब इन्द्र के पुत्र जयंत ने कौवे का वेश धर सीता को चोंच मारी थी। जब माता सीता के पैर से रक्त बहने लगा तो राम जी ने धनुष पर सींक (सरकंडे) का बाण बनाकर मारा। जो उसकी आंख में लगा। तभी से कौआ एक आंख को होता है।

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2-जानकीकुंड : मंदाकिनी तट पर हरे-भरे पेड़ों से यह स्थान बहुत ही सुरम्य लगता है। माना जाता है कि जानकी यहां स्नान करती थीं। कुंड के बगल में माता जानकी के पदचिह्न भी देखे जा सकते हैं। जानकी कुंड के समीप ही राम जानकी रघुवीर मंदिर और संकट मोचन मंदिर है।

3-गुप्त गोदावरी : गुप्त गोदावरी में दो गुफाएं हैं। एक गुफा पानी बहता है। इसमें राम और लक्ष्मण ने दरबार लगाते थे। मान्यता है कि प्रभु श्रीराम ने माता सीता के स्नान को गोदावरी मैया का प्रगट किया था। इसे गुप्त गोदावरी कहते है क्योंकि यहा माता सीता का स्नान कुंड है।

4-राम शैय्या : भरतकूप जाने में बीच रास्ते में रामशैया नामक स्थान पडता है। भगवान राम ने चित्रकूट में पहली रात्रि का विश्राम यहां पर किया था। इस स्थान में भगवान राम व माता सीता के शरीर की लेटी आकृति शिला में उभरी है। थोड़ी दूर पर एक और शिला है जिसमें भइया लक्ष्मण के शरीर की आकृति उभरी है।

5-भरत मिलाप : कामदगिरि परिक्रमा मार्ग में यह स्थान राजा दशरथ के परिवार का मिलन स्थल है। यहीं पर भगवान राम से भरत जी मिलाप वनवास काल में हुआ था। सभी माताएं व सीता का मिलन भी हुआ था। पत्थर में सभी के पद चिह्न अंकित हैं।

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