चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में जताई लाचारी, कहा- हेट स्‍पीच के मामले में हमारे पास कार्रवाई का अधिकार नहीं

निर्वाचन आयोग ने सुप्रीम कोर्ट से स्‍पष्‍ट कहा है कि यदि कोई पार्टी या उसके सदस्य हेट स्‍पीच में लिप्त होते हैं तो पोल पैनल के पास किसी भी राजनीतिक दल की मान्यता वापस लेने या उसके सदस्यों को अयोग्य ठहराने का कानूनी अधिकार नहीं है।

 

नई दिल्‍ली । निर्वाचन आयोग ने सुप्रीम कोर्ट से स्‍पष्‍ट कहा है कि यदि कोई पार्टी या उसके सदस्य हेट स्‍पीच में लिप्त होते हैं तो पोल पैनल के पास किसी भी राजनीतिक दल की मान्यता वापस लेने या उसके सदस्यों को अयोग्य ठहराने का कानूनी अधिकार नहीं है। समाचार एजेंसी एएनआइ की रिपोर्ट के मुताबिक निर्वाचन आयोग के निदेशक (कानून) की ओर से सर्वोच्‍च अदालत को दिए गए हलफनामे में उक्‍त बात कही गई है।

निर्वाचन आयोग की ओर से कहा गया है कि भारत में किसी भी कानून के तहत हेट स्‍पीच को परिभाषित नहीं किया गया है। हां कुछ कानून ऐसे हैं जो हेट स्‍पीच पर लगाम लगाने में सहायक हैं। हेट स्‍पीच के मुद्दे को शीर्ष अदालत ने एक मामले में निपटाया था। सर्वोच्‍च अदालत ने इस मामले में भारत के विधि आयोग को हेट स्‍पीच को परिभाषित करने के लिए भेजा था।

निर्वाचन आयोग ने यह भी बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने तो हेट स्‍पीच पर लगाम लगाने के लिए पोल पैनल को मजबूती दिए जाने के लिए संसद को सिफारिशें सुझाने की सलाह भी विधि आयोग को दी थी। चुनाव आयोग ने कहा कि विधि आयोग की 267वीं रिपोर्ट में इस सवाल का जवाब नहीं दिया गया है कि हेट स्‍पीच के मामले में क्या पोल पैनल को किसी राजनीतिक दल की मान्यता रद करने या उसके सदस्य को अयोग्य घोषित करने की शक्ति प्रदान की जानी चाहिए।

 

विधि आयोग की ओर से हेट स्‍पीच के खतरे को रोकने के लिए निर्वाचन आयोग को मजबूत किए जाने के संबंध में स्पष्ट रूप से संसद को कोई सिफारिश नहीं की गई है। हालांकि, विधि आयोग ने सुझाव दिया है कि भारतीय दंड संहिता और दंड प्रक्रिया संहिता में कुछ संशोधन किए जाने चाहिए। मालूम हो कि निर्वाचन आयोग की उक्‍त प्रतिक्रिया उस जनहित याचिका पर आई है जिसमें हे‍ट स्‍पीच पर अंकुश लगाने के उपाय किए जाने की मांग की गई है।

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