चैत्र नवरात्र कल से, जानें- कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त,

चैत्र नवरात्र नव संवत्सर की शुरूआत 13 अप्रैल से होगी। प्रतिपदा तिथि 12 अप्रैल को प्रातः 8 बजे से शुरू है जो कल सुबह 1016 तक रहेगी। 13 अप्रैल को सूर्योदय के समय प्रतिपदा तिथि होने से कल ही कलश स्थापना श्रेष्ठ रहेगा।

 

प्रयागराज, हिंदू मतावलंबी वर्ष में दो नवरात्र को धूमधाम से मनाते हैं। पहला चैत्र नवरात्र और दूसरा क्‍वार नवरात्र। इस बार चैत्र नवरात्र कल यानी मंगलवार से शुरू होगा। नवरात्र के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा-अर्चना होगी। मां अपने भक्‍तों पर कृपा बरसाएंगी। भले ही कोरोना संक्रमण के कारण कुछ पाबंदियां रहेंगी लेकिन भक्‍तों में आस्‍था की कमी नहीं है। घरों में भी समारोहपूर्वक नवरात्र मनाने की तैयारी जोरों पर है।

कलश स्‍थापना का शुभ मुहूर्त

चैत्र नवरात्र और नव संवत्सर की शुरूआत 13 अप्रैल 2021 को होगी। प्रतिपदा तिथि 12 अप्रैल को प्रातः 8 बजे से लग गई है, जो कल यानी 13 अप्रैल की सुबह 10:16 तक रहेगी। 13 अप्रैल को सूर्योदय के समय प्रतिपदा तिथि होगी, इसलिए कल मंगलवार को ही कलश स्थापना करना श्रेष्ठ रहेगा। इस बार नवरात्र में किसी भी तिथि का क्षय नहीं है यानी नवरात्र नौ दिनों का होगा। 21 अप्रैल को नवमी तिथि पर प्रभु राम का जन्मोत्सव राम नवमी स्वरुप में मनाई जाएगी। ज्योतिषाचार्य अमित बहोरे बताते हैं कि कलश स्थापना के लिए 13 अप्रैल को प्रात: 5:42 से 9:56 तक 11:38 से 12:29 दोपहर तक अभिजित मुहूर्त है।

आइए जानते हैं कि क्‍या कहते हैं ज्योतिषाचार्य अमित बहोरे

ज्योतिषाचार्य अमित बहोरे बताते हैं कि चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से ही विक्रमी सम्‍वत 2078 का प्रारंभ भी होगा। अश्विनी नक्षत्र का स्वामी मंगल के ही दिन पर इस बार “आनंद” नामक संवत्सर का आरंभ होगा | आनंद संवत्सर का राजा और मंत्री दोनों महत्वपूर्ण पदों पर मंगल का आधिपत्य रहेगा। वित्त मंत्री इस बार देवगुरु बृहस्पति होंगे। मंगल का राजा होना मंगल और दंगल दोनों को इंगित कर रहा है। भारत के लिए मंगल का राजा बनना अत्यंत शुभ फल प्रदान करेगा। भारत विश्व पटल पर अपने झंडे फहराएगा। भारतीय सेना का मनोबल काफी बढ़ा हुआ रहेगा, शत्रु मुंह की खाएगा। अंतराष्ट्रीय स्तर का पुरस्कार भारतीय वैज्ञानिकों को मिलने का योग है।

बोले, कोरोना का प्रकोप धीरे-धीरे कम होगा

ज्योतिषाचार्य अमित बहोरे ने कहा कि 5 अप्रैल रात्रि 1:50 पर गुरु कुंभ राशि में प्रवेश कर लिए हैं। जो 13 सितंबर तक कुंभ राशि में ही रहेंगे। इसके कारण कोरोना का प्रकोप धीरे-धीरे कम होगा। 14 सितंबर को देवगुरु बृहस्पति फिर से एक बार फिर अपनी नीच की राशि मकर में प्रवेश करेगा जिससे कुछ स्थानों पर कोरोना का प्रकोप फिर से दिखाई देगा। 20 नवंबर 2021 की रात्रि में देवगुरु बृहस्पति अपनी नीच राशि में छोड़ कर शनि की राशि कुंभ में प्रवेश कर लेंगे उसके बाद से कोरोना संकट पूरी तरह से समाप्ति की ओर चल देगा, तब तक सावधानी से रहे।

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