जानिए कब तक आधार से लिंक हो सकते है सारे मतदाता, चुनाव सुधारों पर दिखेगी रफ्तार

अधिकारियों के मुताबिक मौजूदा समय में मतदाता सूची में बड़ी संख्या में ऐसे नाम है जो कई अलग-अलग जगहों से दर्ज है। वैसे तो इस दोहराव को रोकने के लिए चुनाव आयोग ने व्यवस्था बनाई है लेकिन नामों में अंतर होने से यह पकड़ में नहीं आता है।

 

नई दिल्ली। मतदाता पहचान पत्र को आधार से जोड़ने सहित चुनाव सुधारों से जुड़े दूसरे अहम कदमों का संसद के भीतर विपक्षी दलों ने भले ही जमकर विरोध किया है, लेकिन चुनाव आयोग इन सुधारों को लेकर लंबे समय से टकटकी लगाए हुए था। खासबात यह है कि मतदाता सूची में नए मतदाताओं को जोड़ने की जिस व्यवस्था को संशोधन विधेयक के जरिए आसान बनाते हुए साल में एक मौके की जगह अब चार मौके देने को मंजूरी दी गई है, उसकी मांग सबसे पहले 1972 में देश के तीसरे मुख्य चुनाव आयुक्त एसपी सेन वर्मा ने की थी।  उन्होंने इस बदलाव को लेकर तत्कालीन केंद्र सरकार के विधि एवं न्याय मंत्रालय को लिखा था। फिलहाल आयोग चुनाव सुधारों से जुड़े इस बदलावों को लेकर तेजी से आगे बढ़ने की तैयारी है। हालांकि, इनमें मतदाता पहचान पत्र को आधार कार्ड से जोड़ने वाले विषय को छोड़ दें तो बाकी पर तुरंत अमल होगा।

आयोग से जुड़े सूत्रों की मानें तो संसद से विधेयक के पारित होने के बाद ही इसकी तैयारी शुरू कर दी गई है। राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने के बाद इन सुधारों पर तेजी दिखेगी। वहीं, मतदाता पहचान पत्र को आधार से जोड़ने के काम में थोड़ा वक्त लगेगा क्योंकि यह काम बेहद संवेदनशील है। ऐसे में यदि किसी का भी नाम दो जगह से दर्ज है, तो किसी एक जगह से उनका नाम हटाने से पहले संबंधित व्यक्ति का राय ली जाएगी। वह दोनों में जिस जगह को लेकर सहमति देगा वहीं उसका नाम रखा जाएगा।

अधिकारियों के मुताबिक मौजूदा समय में मतदाता सूची में बड़ी संख्या में ऐसे नाम है जो कई अलग-अलग जगहों से दर्ज है। वैसे तो इस दोहराव को रोकने के लिए चुनाव आयोग ने व्यवस्था बनाई है, लेकिन नामों में अंतर होने से यह पकड़ में नहीं आता है। फिलहाल आधार कार्ड से जुड़ने से इसमें आसानी होगी। साथ ही वोटर लिस्ट भी पारदर्शी हो जाएगी। फिलहाल इस काम को वर्ष 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों से पहले पूरा करने की तैयारी है।

आयोग से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक चुनाव सुधारों से जुड़े इन कदमों का फिलहाल उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्यों में अगले साल की शुरूआत में होने वाले विधानसभा चुनावों पर कोई असर नहीं होगा। वैसे भी इन सभी राज्यों में मतदाता सूची को अंतिम रूप दे दिया गया है। हालांकि इन सभी बदलावों का फायदा आगे आने वाले चुनावों में देखने को मिलेगा।

गौरतलब है कि संसद ने हाल ही में चुनाव सुधारों से जिन अहम बदलावों को मंजूरी दी है, उनमें मतदाता पहचान पत्र को आधार से जोड़ना, नए मतदाताओं को मतदाता सूची में नाम जुड़वाने के लिए चार मौके देना और सर्विस वोटर में अब पत्नी के साथ पति को भी शामिल करना शामिल है।

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