जीवन बीमा उद्योग ने सरकार से धारा 80 (सी) के तहत कर छूट के लिए एक अलग बकेट बनाने की मांग की है। इसके साथ ही केंद्रीय बजट को लेकर अपनी मांग में सरकार से ग्राहकों को लाभ पहुंचाने के लिए एन्युटी को कर मुक्त करने की सिफारिश की है।
नई दिल्ली, पीटीआइ। जीवन बीमा उद्योग ने सरकार से धारा 80 (सी) के तहत कर छूट के लिए एक अलग बकेट बनाने की मांग की है। इसके साथ ही, उद्दोग ने फरवरी में पेश होने वाले केंद्रीय बजट को लेकर अपनी मांग में सरकार से ग्राहकों को लाभ पहुंचाने के लिए एन्युटी को कर मुक्त करने की सिफारिश की है।
एजेस फेडरल लाइफ इंश्योरेंस में उत्पाद विभाग के सीएमओ और प्रमुख कार्तिक रमन ने पीटीआइ को बताया कि कर छूट के लिए 1,50,000 रुपये की सीमा बहुत ही अव्यवस्थित बकेट है और यह जीवन बीमा प्रीमियम (कर छूट का पूरा लाभ पाने के लिए) के लिए ज्यादा स्पेस नहीं देता है।
उन्होंने कहा, “हम छूट के मामले में कर लाभ से एक अलग बकेट बनाना चाहते हैं क्योंकि धारा 80 (सी) की सीमा 1,50,000 रुपये है और सब कुछ उसी के अंतर्गत आता है, जैसे- पीपीएफ इसका हिस्सा है, और अगर किसी के पास होम लोन है तो सभी व्यावहारिक उद्देश्यों के कारण, यह नहीं मिलता।”
उद्योग की ओर से उन्होंने कहा, “इसलिए, हम कर छूट के लिए जीवन बीमा में निवेश के लिए एक अलग राशि रखना चाहते हैं।” बता दें कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को अगले वित्त वर्ष का आम बजट पेश करने वाली हैं। ऐसे में उद्योग यह भी चाहेगा कि एन्युटी उत्पाद कर छूट के दायरे में आएं।
उन्होंने कहा कि ‘जीवन यापन की लागत केवल बढ़ रही है, और उन पर कर लगाना सही नहीं है। हम (सरकार) से अनुरोध कर रहे हैं कि क्या धारा 10 (10D) के तहत एक एन्युटी पर भी विचार किया जा सकता है और इसे कर मुक्त किया जा सकता है।’
कार्तिक रमन ने कहा, “आयकर अधिनियम की धारा 10 (10D) बोनस सहित जीवन बीमा लाभों के लिए छूट की अनुमति देती है। ये दो चीजें हैं, अगर सरकार इस पर विचार कर सकती है तो उद्योग को बहुत खुशी होगी।”