एक महिला का पति गुरुग्राम की भोंडसी जेल में बंद है। महिला वंश वृद्धि के लिए पति से वैवाहिक संबंध बनाना चाहती है। इस संबंध में उसने हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। मामले पर नियमित बेंच सुनवाई करेगी।
चंडीगढ़। एक महिला ने पति से वैवाहिक संबंध स्थापित करने के लिए पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में याचिका दायर की हुई है। वंश वृद्धि के लिए जेल में बंद पति से वैवाहिक संबंध स्थापित करने की मांग पर हाई कोर्ट की नियमित बेंच सुनवाई करेगी। मंगलवार को जस्टिस एमएस रामचंद्र राव व जस्टिस एचएस मदान की बेंच ने कहा कि इस मामले में नियमित बेंच ही सुनवाई करे। इसी के साथ बेंच ने मामले को नियमित बेंच के लिए 27 जनवरी तक स्थगित कर दी।
इससे पहले इस मामले में हरियाणा सरकार ने हाई कोर्ट को बताया था कि जेल विभाग हरियाणा ने कैदियों को वैवाहिक संबंध स्थापित करने व फैमिली विजिट की व्यवस्था के लिए विशेष पैरोल या फरलो की अनुमति देने का फैसला किया है। इस बाबत नियम बनाने के लिए राज्य सरकार ने सेवानिवृत्त हाई कोर्ट जस्टिस एचएस भल्ला की अध्यक्षता में एक जेल सुधार समिति का गठन किया है।
जेल सुधार समिति जेल के कैदियों के लिए वैवाहिक संबंध स्थापित करने व फैमिली विजिट की व्यवस्था की एक योजना तैयार करेगी और पात्र कैदियों की श्रेणियों की पहचान करेगी। समिति नियमों/नीतियों में वांछित संशोधनों की भी सिफारिश करेगी ।जेल सुधार समिति उन दोषियों को भी वर्गीकृत करेगी जो दाम्पत्य संबंध के हकदार नहीं होंगे और यह निर्धारित करेंगे कि क्या पति और पत्नी, जो दोनों दोषी हैं, को नीति के मामले में ऐसी सूची में शामिल किया जाना चाहिए।
कोर्ट को यह भी बताया गया कि याची के पति पर हत्या जैसे कई गंभीर मामले अभी भी विचाराधीन हैं और वर्तमान में वह हत्या के एक मामले में उम्रकैद की सजा काट रहा है। वह आदतन खूंखार अपराधी है, लेकिन वह वैवाहिक संबंध स्थापित करने के लिए आवेदन कर सकता है, जिस पर समिति की सिफारिश के अनुसार निर्णय लिया जाएगा।
याचिकाकर्ता-पत्नी ने हाई कोर्ट में दायर अपनी याचिका में कहा कि उसके पति को गुरुग्राम कोर्ट ने हत्या और अन्य अपराधों का दोषी ठहराया गया था। उसका पति 2018 से गुरुग्राम की भोंडसी स्थित जिला जेल में बंद है।पत्नी ने अपनी याचिका में कहा कि उसे संतान की चाहत है और वह अपने पति से संबंध बनाना चाहती है। याची महिला के वकील ने कहा कि मानवाधिकारों के तहत उसे वंश वृद्धि का अधिकार है।