डाक्टरों व पैरामेडिकल स्टाफ समेत रिकॉर्ड 6598 संक्रमित, 35 मौतें,

एक दिन में यह संक्रमित मरीजों व मौतों का सर्वाधिक आंकड़ा है। लगातार चार दिनों से 24 घंटे में संक्रमित होने वाले मरीजों का आंकड़ा पांच हजार से ऊपर जा रहा है। 16 दिनों में 234 मरीजों की वायरस ने ली जान।

 

लखनऊ, केजीएमयू से लेकर एसजीपीजीआइ, लोहिया, बलरामपुर, सिविल, लोकबंधु व अन्य अस्पतालों के स्टाफ का संक्रमिति होना जारी है। शुक्रवार को इन सभी अस्पतालों में कुल मिलाकर करीब 40 डाक्टर व स्टाफ समेत लखनऊ में रिकॉर्ड 6598 लोग संक्रमित हो गए। वहीं 24 घंटे में 35 मरीजों की वायरस ने जान ले ली। एक दिन में यह संक्रमित मरीजों व मौतों का सर्वाधिक आंकड़ा है। लगातार चार दिनों से 24 घंटे में संक्रमित होने वाले मरीजों का आंकड़ा पांच हजार से ऊपर जा रहा है। इन चार दिनों के दौरान ही लखनऊ में 22 हजार 596 लोग संक्रमित हो गए हैं। जबकि 93 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं एक अप्रैल से 16 अप्रैल तक 234 मरीजों की वायरस जान ले चुका है। इससे मरीजों को भर्ती व इलाज कराने की व्यवस्था भी लगातार चरमराती जा रही है।

एक अप्रैल से रोजाना 14 से अधिक मौत: एक अप्रैल से मौतों में लगातार तेजी दर्ज की जा रही है। एक दिन में अब तक मरने वालों का सबसे बड़ा आंकड़ा शुक्रवार को 34 रहा है। वहीं 16 दिनों में 234 की मौत के हिसाब से औसतन एक दिन में 14 से अधिक मरीजों की कोरोना से जान जा रही है। अब राजधानी में कुल मौतों का आंकड़ा 1445 पहुंच चुका है। वहीं 40 हजार से अधिक सक्रिय मरीज हो गए हैं।

लोहिया अस्पताल में हाथ में सिलेंडर लेकर इंतज़ार करते दिखे लोग : कोरोना संक्रमण तेजी से फैल रहा है। बुखार व खांसी होने पर लोग जांच के लिए लोहिया अस्पताल पहुँच रहे हैं, लेकिन यहां भी शारीरिक दूरी का पालन नहीं हो रहा है। शुक्रवार को भी लोहिया अस्पताल में कोविड टेस्ट कराने वालों की काफी भीड़ देखने को मिली। सामान्य वायरल होने पर भी लोग लोहिया अस्पताल जांच कराने पहुँच रहे हैं। इस दौरान शारीरिक दूरी का पालन नहीं होने की वजह से लोगों में संक्रमण फैल रहा है। त्रिवेणीनगर निवासी विवेक श्रीवास्तव परिवार संग शुक्रवार को कोविड टेस्ट कराने पहुँचे थे।

विवेक के मुताबिक लोग जल्दबाजी में शारिरीक दूरी के नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं। अव्यवस्था देखकर विवेक बिना जांच कराए परिवार समेत वापस चले गए। यही नहीं, इमरजेंसी के बाहर कार में एक मरीज इलाज के इंतजार में काफी देर तक ऑक्सिजन लगाए बैठा रहा। परिवारजन स्ट्रेचर की तलाश में इधर उधर भटकते नजर आए। यही नहीं इमरजेंसी के भीतर नही एक मरीज हाथ मे सिलेंडर पकड़े चिकित्सकों का इंतजार करता नजर आया। अस्पतालों में कोविड के भय से सामान्य मरीजों का इलाज प्रभावित देखने को मिला।

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