क्या वीर अब्दुल हमीद, राष्ट्रपति कलाम, सुप्रसिद्ध गायक मो०रफी,रफी अहमद किदवई आदि तमाम मुस्लिमो को हिन्दुस्तान से अलग करके देखा जा सकता है?
लख़नऊ, उत्तर प्रदेश ; पूरे विश्व को पता है कि ताजमहल तथा कुतुब मीनार हिन्दुस्तान में है। ऐसा भी नहीं है कि ताजमहल तथा कुतुब मीनार कहीं हिन्दुस्तान के बाहर जा रहा है। फिर नाम बदलने का क्या तुक। कुछ लोग अपनी राजनीति चमकाने के लिए बेतुकी बातें कर रहे हैं। ये अवसरवादी लोग दिल्ली के लालकिले पर क्यों नहीं बोलते जिसकी प्राचीर से प्रधानमंत्री पूरे देश को सम्बोधित करते हैं दिल्ली का लालकिला भी तो मुस्लिम बादशाह ने बनवाया था?
हिन्दू वादी लोग राष्ट्रपति भवन, लोकसभा के विषय में कुछ नहीं बोलते जो अंग्रेजों की निशानी है। अंग्रेजों का बनाया 1861 पुलिस रेगुलेशन एक्ट आज भी लागू हैं अंग्रेजों के बनाते तमाम नियम-कानून आज भी भारत में लागू हैं क्यों नहीं उनको हटाने की पहल की जाती? क्या वीर अब्दुल हमीद, राष्ट्रपति कलाम, सुप्रसिद्ध गायक मो०रफी,रफी अहमद किदवई आदि तमाम मुस्लिमो को हिन्दुस्तान से अलग करके देखा जा सकता है? फिर क्यों बिला वजह का तमाशा किया जा रहा है?