पंजशीर घाटी में कब्जा जमाने के मंसूबे पाल बैठे तालिबान को जोर का झटका लगा है। पंजशीर के लड़ाकों ने 300 तालिबानियों को मार गिराया है। आखिर पंजशीर घाटी का क्या है मामला। तालिबान को अपने ही देश में पंजशीर लड़ाकों ने क्यों खड़ी की बड़ी बाधा।
काबुल, एजेंसी। अफगानिस्तान के पंजशीर घाटी में कब्जा जमाने के मंसूबे पाल बैठे तालिबान को जोर का झटका लगा है। उधर, अफगानिस्तान के राष्ट्रीय प्रतिरोध मोर्चा के नेता और पूर्व मुजाहिदीन कमांडर का बेटा अहमद मसूद ने कहा है कि वह अपने पिता के नक्शे-कदम पर चलेगा और तालिबान के सामने आत्मसमर्पण नहीं करेगा। उनकी सेना तलिबान लड़ाकों से आखिरी सांस तक लड़ेगी। आखिर पंजशीर घाटी का क्या है मामला। तालिबान को अपने ही देश में पंजशीर लड़ाकों ने क्यों खड़ी की बड़ी बाधा। पंजशीर घाटी के ताजा धटनाक्रम पर अमेरिका की भी पैनी नजर है।
पंजशीर पर बड़े हमले की तैयारी में तालिबान
तालिबान पंजशीर में बड़े हमले की तैयारी कर रहा है। तालिबान के लड़ाके भारी हथियारों के साथ पंजशीर पर हमला करने पहुंच गए हैं। कहा जा रहा है कि इस बार तालिबान लड़ाकों की तादाद भी ज्यादा है। रविवार की रात पंजशीर से सटे बगलान प्रांत के अंदराब जिले में तालिबानी लड़ाकों ने हमला किया था। यहां कई लोगों के मारे जाने की खबर है। हमले को देखते हुए बगलान के देह-ए-सलाह जिले में विद्रोही लड़ाकों ने तैयारी शुरू कर दिया है। इस हमले के बाद पंजशीर के आस-पास के इलाके में पलायन शुरू हो गया है। स्थानीय लोग अपना घर छोड़कर भाग रहे हैं। यहां तालिबान का मुकाबला कर रहे विद्रोही कुछ दिन पहले पीछे हट गए थे और पहाड़ों पर चले गए थे, लेकिन अब उन्होंने पहाड़ों से ही तालिबान पर हमले शुरू कर दिए हैं।
तालिबान के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं पंजशीर के लड़ाके
हालांकि, तालिबानी भी पंजशीर मामले को जल्दी हल करने के पक्ष में हैं। तालिबान का मानना है कि पंजशीर के लड़ाकों को शांत नहीं किया गया तो उन्हें सरकार चलाने में मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। गौरतलब है कि पंजशीर घाटी अफगानिस्तान का एकमात्र ऐसा इलाका है, जिस पर तालिबान लड़ाकों की आज तक दाल नहीं गल सकी। तालिबान के वार्ताकार अहमद मसूद से लगातार सरकार में शामिल होने के लिए बातचीत कर रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक अभी तक कोई समझौता नहीं हुआ है। हक्कानी के दावों की भी अभी पुष्टि नहीं हुई है।
पंजशीर लड़ाकों ने तालिबान के खिलाफ मोर्चा खोला
बता दें कि पंजशीर में ताजिक और हजारा समुदाय के लोगों की बड़ी आबादी है। खास बात यह है कि यहां अफगान सेना के भी काफी लोग पहुंच चुके हैं। माना जा रहा है कि तालिबान से लोहा लेने के लिए छह हजार लोगों की सेना मौजूद है। ऐसे में खबर है कि नार्दन एलाएंस तालिबान के खिलाफ लड़ाई शुरू कर सकता है। पिछले तीन दिनों में अफगान राष्ट्रीय रक्षा और सुरक्षा बल के लोग पंजशीर घाटी गए। वे मसूद के गठबंधन को मजबूत कर रहे हैं। तालिबान पर कई मोर्चों पर हमला किया। पिछले दिनों तालिबान विरोधियों ने अफगानिस्तान के तीन प्रांतों पर कब्जा जमाया है। उधर, तालिबानी लड़ाके पंजशीर में दस्तक दे चुके हैं। तालिबान और पंजशीर की फौज आमने-सामने में है। तालिबान ने कहा है कि अगर अहमद मसूद सरेंडर नहीं करते हैं तो बल प्रयोग होगा।
तालिबान हुकूमत के विरोध का गढ़ रहा पंजशीर घाटी
गौरतलब है कि अफगानिस्तान की पंजशीर घाटी में लंबे समय से तालिबान हुकूमत के विरोध का गढ़ रहा है। पूर्व सोवियत संघ के खिलाफ लड़ने वाले मुजाहिदीन नेता अहमद शाह मसूद ने इसी घाटी को अपना गढ़ बनाया था। दो दशक पूर्व तालिबान ने जब अफगानिस्तान को अपने नियंत्रण में लिया था, तब भी पंजशीर घाटी पूरी तरह से मुक्त और आजाद थी। हालांकि, इस बार यहां के हालात पूरी तरह से बदल चुके हैं। तालिबान पहले से ज्यादा सुदृढ़ हुआ है। इसलिए पंजशीर की आजादी पर सवाल उठ रहे हैं। यह भी सवाल उठ रहे हैं कि क्या तालिबानियों का मुकाबला कर पाएंगे।
अहमद मसूद ने तालिबान के विरोध में झंडा उठाया
पंजशीर घाटी में अब अहमद शाह मसूद के बेटे अहमद मसूद ने तालिबान के विरोध में झंडा उठाया है। हालांकि, मसूद के पास अपने पिता की विरासत के अलावा और कोई बड़ी पहचान नहीं हैं। अफगानिस्तान के उपराष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह ने भी यहीं शरण ले रखी है। पश्चिमी और तालिबान विरोधी सरकारों के साथ निकट संबंध रखने वाले मसूद के साथ मिलकर तालिबान के खिलाफ गठजोड़ खड़ा करने की कोशिश कर रहे हैं।