तिब्बत पर चीनी कब्जे के विरुद्ध अमेरिकी संसद में विधेयक पेश, नागरिक अधिकारों के उल्लंघन के लिए बीजिंग को दोषी ठहराने का प्रस्ताव

माइकल मैककाल के अनुसार तिब्बत व चीन के बीच संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान में संसद की लंबी व स्थायी रुचि रही है। अमेरिका ने चीन से लगातार बिना शर्त वार्ता शुरू करने की अपील की है लेकिन उसने ऐसा नहीं किया।

 

वाशिंगटन,  तिब्बत पर चीन के दशकों पुराने अवैध कब्जे को खत्म कराने की दिशा में ठोस कार्रवाई करने के उद्देश्य से अमेरिकी संसद में एक विधेयक पेश किया गया है। इसमें तिब्बत को पूर्ण मान्यता देने और वहां के नागरिकों के आत्मनिर्णय के अधिकार का उल्लंघन करने के लिए चीन को दोषी ठहराने का प्रस्ताव है।

जिम मैकगवर्न, डी-मास और माइकल मैककाल ने बुधवार को प्रतिनिधि सभा में यह विधेयक पेश किया। ‘प्रमोटिंग ए रिजोल्यूशन टू द तिब्बत-चाइना कानफ्लिक्ट’ में चीन को दलाई लामा अथवा उनके प्रतिनिधि के साथ वार्ता सुनिश्चित करने में विफल बताया गया है। इसमें कहा गया है कि तिब्बत के पास आत्मनिर्णय का अधिकार है और चीन ने वहां के लोगों को इससे वंचित कर रखा है। इस विधेयक के जरिये अमेरिका अपने रुख को दृढ़ता के साथ रखेगा कि तिब्बत का वैधानिक दर्जा अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुरूप तय होगा। इसके बावजूद कि चीन छह दशकों से तिब्बत पर कब्जा किए हुए है और वह इसे पुरातन काल से अपने देश का हिस्सा बताता रहा है।

माइकल मैककाल के अनुसार, ‘तिब्बत व चीन के बीच संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान में संसद की लंबी व स्थायी रुचि रही है। अमेरिका ने चीन से लगातार बिना शर्त वार्ता शुरू करने की अपील की है, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। चीनी दलाई लामा से मुंह मोड़ रहे हैं। हमारी द्विदलीय व्यवस्था अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुरूप अमेरिकी नीतियों को मजबूत करना और चीनी दुष्प्रचार का मुकाबला करना चाहती है, ताकि दोनों पक्ष वार्ता के जरिये संघर्ष का स्थायी समाधान निकाल सकें।’

 

उन्होंने कहा, ‘वर्ष 1950 में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के तिब्बत पर हमले के बाद से वहां के लोगों का दमन जारी है। इसने सीसीपी के लिए क्षेत्रीय आक्रामकता व मानवाधिकार उत्पीड़न का मंच तैयार किया है। लोगों की आजादी के दमन व इतिहास पुनर्लेखन की चीनी प्रवृत्ति अमेरिकी मूल्यों व राष्ट्रीय सुरक्षा हितों के लिए खतरनाक है।’

उल्लेखनीय है कि अंतरराष्ट्रीय मामलों की निगरानी करने वाली संस्था फ्रीडम हाउस ने हालिया रैंकिंग में तिब्बत को दक्षिणी सूडान व सीरिया के साथ निचले पायदान पर रखा है। संस्थान ने कहा है कि चीन के क्रूर कब्जे के कारण तिब्बत धरती पर सबसे कम स्वतंत्रता वाला देश बन गया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *