तीन साल की जेल और खत्म हुआ राजनीतिक करियर! इमरान खान का ‘खजाने वाला कमरा’ उन्हीं पर कैसे पड़ा भारी

इस्लामाबाद की जिला एवं सत्र अदालत ने इमरान खान को तीन साल की सजा सुनाई है। पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को तोशखाना केस में दोषी ठहराया गया हैं।इमरान खान को लाहौर में उनके जमान पार्क घर से गिरफ्तार किया गया और फिर लाहौर से इस्लामाबाद भेजा गया। आइये जान लेते है क्या है तोशाखाना केस जिसने इमरान खान के राजनीतिक करियर की धज्जियां उड़ा दी है।

 

नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क : इमरान खान को क्या पता था की उनको दिए गए तोहफे उन्हीं के लिए एक दिन मुसीबत का सबब बन जाएगा। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री रहते हुए इमरान खान ने कई आधिकारिक विदेश यात्रा की। इस दौरान उन्हें करीब साढ़े 14 करोड़ रुपये के ऐसे कई गिफ्ट मिले जो उन्होंने तोशाखाने में जमा कराए। इसके बाद इमरान खान ने उन्हें सस्ते में खरीदा और बड़ी कीमत पर बेच दिया। अब इमरान खान इसकी सजा भुगत रहे है।

आज का दिन (5 अगस्त) उनके लिए काफी बुरा साबित हुआ, जब इस्लामाबाद की जिला एवं सत्र अदालत ने उन्हें तीन साल की सजा सुना डाली। पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को तोशखाना केस में दोषी ठहराया गया हैं। इमरान खान को लाहौर में उनके जमान पार्क घर से गिरफ्तार किया गया और फिर लाहौर से इस्लामाबाद भेजा गया। आइये जान लेते है क्या है तोशाखाना केस, जिसने इमरान खान के राजनीतिक करियर की धज्जियां उड़ा डाली।

तोशाखाना केस?

तोशाखाना शब्द, फारसी भाषा का एक शब्द है। इसका मतलब होता है ‘खजाने वाला कमरा’। इसका इस्तेमाल मुगलों के दौर में किया जाता था। इसमें राजसी लोगों को मिलने वाले गिफ्ट और तोहफे को रखा जाता था। आजादी के बाद पाकिस्तान में तोशाखाना की स्थापना 1974 में की गई थी। इसे कैबिनेट डिविजन के नियंत्रण में रखा जाता है। विदेश दौरे पर गए प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, कैबिनेट मंत्री, सरकारी अधिकारियो को जो भी तोहफे मिलते है, उन्हें इसी तोशाखाना में ही रखा जाता है।

पूरी दुनिया में है तोशाखाना का कांसेप्ट

तोशाखाना का कांसेप्ट भारत या पाकिस्तान में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में है। विदेश से मिलने वाले तोहफे को सरकारी अधिकारियों को 30 दिनों के अंदर जमा कराना होता है। भारत में तोशाखाना का काम विदेश मंत्रालय संभालती है। भारत में तोशाखाना का नियम यह है कि सरकारी अधिकारियों को मिले गए तोहफे अगर 5 हजार से कम कीमत का है तो वह उसे अपने पास रख सकते है। वहीं, अगर इसकी कीमत 5 हजार से अधिक है तो वह अपने पास ये तोहफे नहीं रख सकते है। इसके लिए तोहफे को असल कीमत पर खरीदना पड़ता है। आसान भाषा में समझें तो कोई भी देश किसी व्यक्ति को गिफ्ट नहीं देता बल्कि उसके ओहदे और देश को दिया जाता है, इसलिए इन तोहफों को जमा कराने का नियम है।

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