दस माह के बच्‍चे को केजीएमयू में म‍िली नई जिंदगी, दिल के पास ट्यूमर के कारण सांस लेने में हो रही थी समस्या,

कुशीनगर के रहने वाले मुन्ना के मासूम बच्‍चे को दो माह पहले सांस लेने में परेशानी हुई। फिर खांसी भी शुरू हो गई। इसके बाद निमोनिया जैसे लक्षण सामने आने लगे। स्थानीय डाक्टरों ने कोरोना की आशंका जताते हुए दवाएं शुरू कीं मगर बच्‍चे की तबीयत में सुधार नहीं हुआ।

 

लखनऊ,  दस माह के बच्‍चे को बुखार के साथ सांस लेने में तकलीफ थी। इलाज से फायदा न मिलने पर परिवारीजन बच्‍चे को लेकर केजीएमयू के पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग पहुंचे। जांच में बच्‍चे के फेफड़े के पीछे और दिल के पास ट्यूमर पाया गया, जिसके बाद डाक्टरों ने बच्‍चे का जटिल आपरेशन किया। शुक्रवार को बच्‍चे को छुट्टी दे दी गई।

कुशीनगर के रहने वाले मुन्ना के मासूम बच्‍चे को दो माह पहले सांस लेने में परेशानी हुई। फिर खांसी भी शुरू हो गई। इसके बाद निमोनिया जैसे लक्षण सामने आने लगे। स्थानीय डाक्टरों ने कोरोना की आशंका जताते हुए दवाएं शुरू कीं, मगर बच्‍चे की तबीयत में सुधार नहीं हुआ। स्वास्थ्य बिगडऩे पर परिवारीजन केजीएमयू लेकर पहुंचे। यहां पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग के डा. जेडी रावत ने एक्स-रे, सीटी स्कैन समेत दूसरी खून की जांच करवाई। डा. रावत ने बताया कि बच्‍चे के फेफड़े में बाईं ओर व छाती में बड़ी गांठ बन गई थी। ट्यूमर के कारण फेफड़े प्रभावित हो रहे थे। फेफड़ा लगातार सिकुड़ रहा था। जिसके चलते उसे सांस लेने में तकलीफ थी। डाक्टरों ने छाती में नली डाली तो बच्‍चे को कुछ आराम मिला। समस्या के चलते ही बच्‍चे में खून की कमी भी हो गई थी। इसलिए खून भी चढ़ाया गया। डा. रावत का कहना है कि बच्‍चों में लंबे समय से सांस लेने की समस्या को कोरोना से ही जोड़ देना गलत है। बच्‍चों की पूरी जांच गंभीरता से कराई जानी चाहिए।

सूझबूझ से किया गया आपरेशन : डा. रावत ने बताया कि 21 जून को बच्‍चे को बेहोशी देकर उसकी छाती खोलकर आपरेशन किया गया। गांठ काफी बड़ी थी, इस कारण दिल के पास की झिल्ली पेरिकाॢडयम प्रभावित थी। ट्यूमर हार्मोन का स्राव करने वाली थायमस ग्लैंड तक पहुंच चुका था। मगर सूझबूझ से किए गए आपरेशन से जटिल ट्यूमर निकाल दिया गया। आपरेशन करीब तीन घंटे चला।

माता-पिता ने जताया डाक्टरों का अभार : मां सुंदरी व पिता मुन्ना ने केजीएमयू के डाक्टर व कर्मचारियों का आभार प्रकट किया। सुंदरी का कहना था कि गोरखपुर व आसपास के जिलों में कोरोना की आशंका से डाक्टरों ने बच्‍चे को देखा तक नहीं।

आपरेशन करने वाली टीम : डा. जेडी रावत, डा. सर्वेश कुमार, एनस्थीसिया विभाग की डा. विनीता सिंह व डा. रवि प्रकाश आपरेशन करने वाली टीम में शामिल रहे।

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