सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस और उत्तराखंड पुलिस से उस याचिका पर जवाब देने को कहा जिसमें हाल में हरिद्वार और राष्ट्रीय राजधानी में आयोजित दो कार्यक्रमों के दौरान कथित रूप से नफरत फैलाने वाले भाषण देने वालों के खिलाफ जांच और कार्रवाई सुनिश्चित करने की मांग की।
नई दिल्ली, पीटीआइ। नफरती भाषणों के मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर करने वालों में से एक पत्रकार ने अलीगढ़ और हरिद्वार के जिलाधिकारी को पत्र लिख कर उनसे यह सुनिश्चित करने के लिए एहतियाती कार्रवाई करने का आग्रह किया है कि अलीगढ़ में प्रस्तावित कार्यक्रम में उस तरह के कोई भाषण नहीं दिये जाएं, जैसा कि हरिद्वार में हुई ‘धर्म संसद’ में दिये गए थे।
मुख्य न्यायाधीश एन वी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने 12 जनवरी (बुधवार) को केंद्र, दिल्ली पुलिस और उत्तराखंड पुलिस को पत्रकार कुर्बान अली और पटना उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश और वरिष्ठ अधिवक्ता अंजना प्रकाश द्वारा दायर याचिका पर जवाब देने को कहा था। जिसमें हाल में हरिद्वार और राष्ट्रीय राजधानी में आयोजित दो कार्यक्रमों के दौरान कथित रूप से नफरत फैलाने वाले भाषण देने वालों के खिलाफ जांच और कार्रवाई सुनिश्चित करने का निर्देश देने की मांग की गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि याचिकाकर्ता इस तरह के आयोजनों के संबंध में संबंधित स्थानीय अधिकारियों को प्रतिनिधित्व करने के लिए स्वतंत्र हैं, याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा था कि अलीगढ़ में एक ‘धर्म संसद’ निर्धारित है।
अलीगढ़ और हरिद्वार के डीएम को भेजे गए अपने पत्रों में अली ने कहा है कि पिछले साल 17-19 दिसंबर से हरिद्वार और दिल्ली में ‘धर्म संसद’ के रूप में एक सार्वजनिक कार्यक्रम आयोजित किया गया था जहां इस तरह के भाषण दिए गए थे।
अली ने सुप्रीम कोर्ट के 12 जनवरी के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि शीर्ष अदालत द्वारा दी गई स्वतंत्रता के अनुसार ये पत्र भेजे जा रहे हैं।
पत्रों में कहा गया है कि अगर इस तरह के आयोजन उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड राज्यों में होते हैं, तो यह न केवल सार्वजनिक व्यवस्था को बिगाड़ेगा बल्कि विभिन्न आपराधिक अपराधों के लिए भी जिम्मेदार हैं।
डीएम अलीगढ़ को संबोधित पत्र में कहा गया है कि ऐसी खबरें हैं कि 22 से 23 जनवरी को अलीगढ़ में एक और ‘धर्म संसद’ का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें पिछले साल 17-19 दिसंबर के बीच आयोजित कार्यक्रमों में भाग लेने वाले वक्ताओं के फिर से बोलने की संभावना है।