25 दिसंबर 2021 को भारत बायोटेक द्वारा विकसित को-वैक्सीन को स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रलय ने आपातकालीन स्थिति में 12-18 वर्ष के बच्चों में इस्तेमाल की अनुमति दे दी है। भारत बायोटेक ने उम्मीद जताई है कि यह बच्चों के लिए भी कारगर साबित होगी।
नई दिल्ली, वर्ष 2021 में कोरोना के साथ ही ब्लैक फंगस भी बड़ी चुनौती था, लेकिन रिकार्ड वैक्सीनेशन, आपातकालीन स्थिति में बच्चों के लिए को-वैक्सीन की मंजूरी और स्वदेशी ब्लैक फंगस जांच किट व थ्री-डी प्रिंटेड कृत्रिम हार्ट वाल्व का निर्माण करने के साथ नागरिकों के लिए आयुष्मान डिजिटल हेल्थ कार्ड जैसी सुविधाएं लाकर चिकित्सा जगत ने स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूती दी है..
बच्चों को वैक्सीन का सुरक्षा चक्र: 25 दिसंबर 2021 को भारत बायोटेक द्वारा विकसित को-वैक्सीन को स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रलय ने आपातकालीन स्थिति में 12-18 वर्ष के बच्चों में इस्तेमाल की अनुमति दे दी है। भारत बायोटेक ने उम्मीद जताई है कि यह बच्चों के लिए भी कारगर साबित होगी।
ब्लैक फंगस जांच किट: वैज्ञानिकों ने ब्लैक फंगस के लिए एक ‘मेड इन इंडिया’ टेस्ट किट विकसित की है। इससे मरीज में ब्लैक फंगस या म्यूकरमायकोसिस का पता लगाया जा सकेगा। इससे म्यूकरमायकोसिस की जांच बहुत सस्ती हो जाएगी। इसे जीसीसी बायोटेक प्राइवेट लिमिटेड द्वारा विकसित किया गया है। यह केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रलय के जरनल आफ हेल्थ सर्विसेस के तहत सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल आर्गेनाइजेशन से मान्यता प्राप्त है।
हर नागरिक को डिजिटल हेल्थ कार्ड: भारत सरकार ने 27 सितंबर 2021 को आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन का शुभारंभ किया। इसके तहत एक डिजिटल हेल्थ सिस्टम तैयार किया जाएगा। इसमें प्रत्येक नागरिक को डिजिटल हेल्थ आईडी मिलेगी, जिसमें उसके हेल्थ रिकार्ड को डिजिटली सुरक्षित रखा जाएगा। इसमें पूरे देश के अस्पतालों को डिजिटली जोड़ा जाएगा।
पहचान आसान होगी सिलकोसिस बीमारी की: आईसीएमआर-नेशनल इंस्टीट्यूट फार आक्युपेशनल हेल्थ, अहमदाबाद और आईसीएमआर-नेशनल इंस्टीट्यूट आफ वायरोलाजी, पुणो ने सिलिकोसिस स्क्रीनिंग टेस्ट किट विकसित की है। इससे सिलिकोसिस (फेफड़ों से संबंधित रोग) की तुरंत जांच संभव होगी।
स्मार्ट होगा कृत्रिम वाल्व: भारत का पहला मेड इन इंडिया 3 डी प्रिंटेड हार्ट वाल्व चेन्नई में विकसित किया गया है। 3 डी प्रिंटर्स की सहायता से विकसित किया गया यह हार्ट वाल्व, कृत्रिम हार्ट वाल्व से संबंधित परेशानियों को दूर कर देगा। वेल्लोर इंस्टीट्यूट आफ टेक्नालाजी व सेंटर फार आटोमेशन एंड स्कूल आफ मैकेनिकल इंजीनियरिंग के सहयोग यह अन्वेषण हुआ है। इसके प्रयोग से संक्रमण, थक्का बनने और वाल्व फेलियर की आशंका नहीं रहेगी।