निर्विवाद उत्तराधिकार दर्ज कराने को 30 मई से दो माह का विशेष अभियान, 15 जून तक पढ़ी जाएंगी खतौनियां

यूपी सरकार दो माह का ए‍क व‍िशेष अभ‍ियान शुरु करने जा रही है। इसके तहत 31 जुलाई तक पूरे प्रदेश में मुहिम चलेगी। इसका शासनादेश भी जारी कर द‍िया गया है। 30 मई से 15 जून तक खतौनियां पढ़ी जाएंगी। वहीं निर्विवाद उत्तराधिकारियों के नाम खतौनी में दर्ज क‍िए जाएंगे।

 

लखनऊ,  राज्य सरकार निर्विवाद उत्तराधिकारियों के नाम खतौनी में दर्ज करने के लिए 30 मई से 31 जुलाई तक दो माह का विशेष अभियान चलाएगी। प्रमुख सचिव राजस्व सुधीर गर्ग ने सभी मंडलायुक्तों और जिलाधिकारियों को इस बारे में शासनादेश जारी कर दिया है। शासनादेश में कहा गया है कि खतौनी में दर्ज खातेदारों की मृत्यु होने पर या उत्तराधिकार में जमीन प्राप्त करने वाली किसी स्त्री के विवाहित या पुनर्विवाहित होने की दशा में उनके उत्तराधिकारियों के नाम विशेष अभियान के तहत खतौनी में अंकित किये जाएं।

वरासत दर्ज कराने के लिए आवेदक आनलाइन आवेदन कर सकते हैं। इसके लिए उन्हें राजस्व परिषद की वेबसाइट के मुखपृष्ठ पर दिये गए राजस्व न्यायालय कंप्यूटरीकृत प्रबंधन प्रणाली लिंक पर उपलब्ध उत्तराधिकार/वरासत के लिए आवेदन लिंक पर जाकर अपना मोबाइल नंबर अंकित करना होगा। इसके बाद मोबाइल फोन पर प्राप्त ओटीपी को भरकर उन्हें अपना पंजीकरण करना होगा औ वांछित सूचनाएं पोर्टल पर भरेगा। विशेष अभियान के लिए राजस्व विभाग ने समयसारिणी तय कर दी है जिसके अनुसार 30 मई से 15 जून तक राजस्व/तहसील अधिकारी राजस्व गांवों में जाकर खतौनियों को पढ़ेंगे और लेखपाल वरासत के लिए प्रार्थना पत्र प्राप्त कर उन्हें आनलाइन भरेंगे। 16 जून से एक जुलाई तक लेखपाल आनलाइन जांच की प्रक्रिया के अनुसार कार्यवाही करेंगे। दो से 17 जुलाई तक राजस्व निरीक्षक जांच और आदेश पारित करने की प्रक्रिया के अनुसार कार्यवाही करेंगे।

 

इसी अवधि में राजस्व निरीक्षक कार्यालय द्वारा राजस्व निरीक्षक के नामांतरण आदेश को आर-6 में दर्ज करने के बाद खतौनी की प्रविष्टियों को भूलेख साफ्टवेयर में अपडेट किया जाएगा। 18 से 23 जुलाई तक जिलाधिकारी हर लेखपाल, राजस्व निरीक्षक, तहसीलदार और उप जिलाधिकारी से इस आशय का प्रमाणपत्र प्राप्त करेंगे कि उनके क्षेत्र के राजस्व गांवों में उत्तराधिकार का कोई भी प्रकरण दर्ज होने से बचा नहीं है। अभियान के अंत में 24 से 31 जुलाई तक जिलाधिकारी जिले की हर तहसील के 10 प्रतिशत राजस्व गांवों को चिन्हित करते हुए उनमें अपर जिलाधिकारियों, उप जिलाधिकारियों और अन्य जिला स्तरीय अधिकारियों से जांच कराएंगे कि निर्विवाद उत्तराधिकार का कोई प्रकरण दर्ज होने से बचा नहीं है। यदि जांच में पाया जाता हैै कि किसी गांव में लेखपाल व राजस्व निरीक्षक द्वारा अविवादित वरासत बिना किसी समुचित कारण के दर्ज नहीं की गई है तो उनके खिलाफ अनुशासनिक कार्यवाही की जाएगी।

 

राजस्व परिषद को पूरे अभियान की प्रगति रिपोर्ट शासन को सात अगस्त तक देनी होगी। मंडलायुक्तों को इस अभियान की निगरानी करनी होगी और राजस्व गांवों में वरासत दर्ज करने की कार्यवाहियों का समय-समय पर स्थलीय निरीक्षण करना होगा। जिला स्तर पर अभियान के संचालन की जिम्मेदारी जिलाधिकारी की होगी।

 

गांवों में न रहने वाले किसानों के लिए तहसील में खुलेंगे काउंटर

ऐसे किसान जो सामान्यत: गांवों में नहीं निवास कर रहे हैं या जिनका निर्धारित दिवस पर गांव पहुंचना संभव न हो, उनके लिए हर तहसील में एक काउंटर खोलते हुए अविवादित वरासतों को दर्ज करने के लिए प्रार्थना पत्र प्राप्त करने का निर्देश दिया गया है। उनके सहायता के लिए हेल्पलाइन तथा जन सुविधा केंद्रों का उपयोग करने की हिदायत दी गई है।

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