ईरान ने अमेरिका से परमाणु डील को लेकर अपने इरादे काफी हद तक साफ कर दिए हैं। ईरान का कहना है कि वो इस संबंध में फैसला ले चुका है अब इस संधि से जुड़े दूसरे पक्षों को फैसला लेना है।
तेहरान (आईएएनएस)। ईरान और अमेरिका के बीच परमाणु संधि को लेकर लगातार कोशिशें की जा रही हैं। इस बाबत वियना में हुई वार्ता के दौरान ईरान ने सभी पक्षों और सदस्यों से ये बात साफ कर दी है कि अब इस डील पर फैसला लेने की बारी उनकी है। वियना वार्ता की जानकारी देते हुए ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सईद खतीजेदाह ने कहा कि ईरान इस संबंध मं न सिर्फ अपना फैसला ले चुका है बल्कि बता भी चुका है। अब इस पर दूसरे पक्षों को फैसला लेना है।
आपको बता दें कि ईरान और अमेरिका के बीच वर्ष 2015 में बराक ओबामा प्रशासन में समझौता हुआ था। इस समझौते में इन दोनों के अलावा अन्य देश भी शामिल हुए थे। इस संधि को जकोपा या ज्वाइंट कॉंप्रिहेंसिव प्लान ऑफ एक्शन (JCOPA)भी कहा जाता है। वर्ष 2018 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस संधि से खुद को ये कहते हुए बाहर कर लिया था कि इससे अमेरिका कोई फायदा नहीं हुआ है। उन्होंने इस डल को सबसे बेकार बताया था। उनका कहना था कि वो एक नई डील ईरान के साथ चाहते हैं, जिसमें अमेरिका का फायदा हो। ट्रंप ने ईरान पर कई कड़े प्रतिबंध भी लगाए थे। इसके बाद वर्ष 2019 में ईरान ने भी इस डील से खुद को अलग कर लिया था।
अपनी साप्ताहिक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि यदि इस परमाणु संधि पर फैसला ईरान में बनने वाली नई सरकार पर छोड़ा जाता है तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है कि इस पर कौन सी सरकार कितने दिनों में फैसला लेती है। आपको यहां पर ये भी बता दें कि ईरान और अमेरिका के बीच परमाणु संधि को लेकर हो रही वार्ता में ब्रिटेन, चीन, फ्रांस, रूस और जर्मनी शामिल है। इस संबंध में आस्ट्रिया की राजधानी वियना में छह दौर की वार्ता हो चुकी है।
इस संबंध में इन सभी पक्षों के बीच वार्ता की शुरुआत 6 अप्रैल को हुई थी। हालांकि इस संबंध में अब तक कोई खास प्रगति दिखाई नहीं दी है। इन पक्षों का कहना है कि संधि को लेकर कुछ बिंदुओं पर गहरे मतभेद हैं, जिनको सुलझाना बेहद जरूरी है और जो अब तक नहीं हो सका है। हाल ही में हुई वार्ता के दौरान ईरान के परमाणु वार्ताकार अब्बास अरक्ची ने कहा कि इस वक्त संधि से जुड़े दूसरे पक्षों को इससे जुड़े अन्य मुद्दों फैसला लेना है। परमाणु डील को लेकर हो रही वार्ताओं का मकसद इसको सुनिश्चित करना है कि सभी पक्ष इससे जुड़ी बातों पर राजी हों और इसको पूरी तरह से लागू किया जा सके।