पाकिस्तानी सरकार के खिलाफ ग्वादर में बढ़ते विरोध प्रदर्शनों ने बढ़ाई चीन की चिंता : यूरोपीय थिंक टैंक

ग्वादर में पाकिस्तानी सरकार के खिलाफ शांतिपूर्ण व सशस्त्र प्रदर्शनों में वृद्धि ने चीन की चिंता बढ़ा दी है। पिछले कुछ हफ्तों से हजारों लोग ग्वादर को हक दो आंदोलन के तहत बुनियादी सुविधाओं के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं।

 

एम्सटर्डम,  ग्वादर में पाकिस्तानी सरकार के खिलाफ शांतिपूर्ण व सशस्त्र प्रदर्शनों में वृद्धि ने चीन की चिंता बढ़ा दी है। पिछले कुछ हफ्तों से हजारों लोग ‘ग्वादर को हक दो’ आंदोलन के तहत बुनियादी सुविधाओं के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं। यूरोपियन फाउंडेशन फार साउथ एशियन स्टडीज (ईएफएसएएस) के अनुसार, ‘पाकिस्तान, खासकर बलूचिस्तान की बड़ी आबादी द्वारा बुनियादी सुविधाओं की मांग आश्चर्यजनक नहीं है। ये सुविधाएं या तो उन्हें प्रदान ही नहीं की गईं, या उनसे छीन ली गई हैं। अक्सर इन मांगों को हिंसक विरोध प्रदर्शनों के जरिये भी रखा जाता, जिसमें जानमाल का भी नुकसान होता है।’

मछली पकड़ने वाले अनुसूचित जनजाति से ताल्लुक रखने वाले मौलाना हिदायत उर रहमान बलूच नवंबर माह से ही ‘ग्वादर को हक दो’ आंदोलन का संचालन कर रहे हैं। आंदोलन में प्रांत के माकरान क्षेत्र के हजारों लोग शामिल हैं। इसमें ट्रेडर्स और कारोबारी भी अपने-अपने प्रतिष्ठानों को बंद करके शामिल हो रहे हैं। सरकार पर दबाव बनाने के लिए लोग ग्वादर से कराची को जोड़ने वाले राष्ट्रीय मार्ग को भी बाधित कर रहे हैं।

ईएफएसएएस ने कहा कि प्रदर्शनकारी चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा परियोजना (सीपीईसी) से जुड़े चीनी नागरिकों की सुरक्षा के लिए स्थापित चेकपोस्टों को हटाने की भी मांग कर रहे हैं। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि ग्वादर पोर्ट व सीपीईसी से जुड़ी अन्य परियोजनाओं में अरबों डालर के निवेश के बावजूद ग्वादरवासियों को स्वच्छ पेयजल, चिकित्सा, शिक्षा व रोजगार आदि से वंचित रखा गया है।

यूरोपीय थिंक टैंक का कहना है कि बलूचिस्तान के साथ हमेशा से सौतेला व्यवहार होता रहा है, लेकिन सीपीईसी के जरिये प्रांत में चीन के प्रवेश के बाद पाकिस्तान की दमनकारी प्रवृत्ति में वृद्धि हुई है। इससे पहले कनाडाई थिंक टैंक द इंटरनेशनल फोरम फार राइट्स एंड सिक्योरिटी (आइएफएफआरएएस) ने कहा था, ‘ग्वादर, चीनी गतिविधियों का मुख्य रणनीतिक हब है और ग्वादर पोर्ट को सीपीइसी का गहना कहा जाता है। हालांकि, इसी इलाके में चीन का सबसे ज्यादा विरोध भी हो रहा है।’

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