चौकी प्रभारी लाइन हाजिर हो गये उनको मौखिक आदेश देने वाले भी नहीं बचा पाये। इस तरह के तमाम उदाहरण हैं इसलिए पुलिस अधिकारियों से निवेदन है कि मौखिक आदेश देने के पहले अपने मातहतों के बारे में भी सोचें और मातहत भी सोच समझ कर कार्य करे !
लखनऊ : आवाज़ – ए – लखनऊ ! तमाम विभागों में अधिकांश अधिकारी अपने मातहतों से मौखिक आदेश पर कार्य करवाते हैं,खास तौर से पुलिस विभाग में ,मैंने देखा है अक्सर थानेदार तथा चौकी प्रभारी अधिकारी के मौखिक आदेश पर कार्य कर देते और जब उनके मौखिक आदेश पर किये हुये कार्य की जांच होती है, इस तरह से किसी नेता या रसूखदार के दबाव में पुलिस अधिकारी थानेदार या चौकी प्रभारी को फोन तो कर देता है परन्तु जब खबर प्रकाशित होती है तो या तो पुलिस खबर प्रकाशित करने वाले को झुठलाती है
या फिर उसकी जांच आरंभ हो जाती है ऐसे में आफ़त आती है कार्य करने वाले थानेदारों की या चौकी प्रभारियों की ये पुलिसकर्मियों की ऐसी श्रेणी है जो अधिकारियों के मौखिक आदेश को अनसुना कर ही नहीं सकती उदहारण न०एक एक चौकी प्रभारी ने एक निर्माणाधीन दीवार को अधिकारी के मौखिक आदेश पर जा कर रुकवा दिया जब कि निर्माणकर्ता अपनी जगह पर सही था निर्मकर्ता भी कम नही उसने जंच बइठलवआ कर अपने को सही साबित कर दिया परिणामस्वरूप चौकी प्रभारी लाइन हाजिर हो गये उनको मौखिक आदेश देने वाले भी नहीं बचा पाये। इस तरह के तमाम उदाहरण हैं इसलिए पुलिस अधिकारियों से निवेदन है कि मौखिक आदेश देने के पहले अपने मातहतों के बारे में भी सोचें और मातहत भी सोच समझ कर कार्य करे !