चिंताजनक-बार्सिलोना इंस्टीट्यूट फॉर ग्लोबल हेल्थ के शोधकर्ताओं के अध्ययन में आया सामने। प्रदूषण का हमारी शारीरिक गतिविधि और नींद पर पड़ता है असर। अध्ययन के लिए सबडेल में नौ से 12 वर्ष की आयु के 2213 बच्चों के डाटा का विश्लेषण किया गया।
वाशिंगटन । धरती पर लगातार बढ़ रहा प्रदूषण कई बीमारियों का कारण बन रहा है। अब इस कड़ी में एक और चिंताजनक बात सामने आई है। एक नवीन अध्ययन में बताया गया है कि शहरी क्षेत्रों में रहने वाले बच्चों में वायु और ध्वनि प्रदूषण के कारण मोटापे का खतरा बढ़ रहा है। हालांकि, शोधकर्ता प्रदूषण और मोटापे के बीच सीधे संबंध का पता नहीं लगा पाए, लेकिन उन्होंने ऐसी वजहें जरूर बताई हैं, जिनकी वजह से शहरी क्षेत्रों में रह रहे बच्चे मोटापे से पीडि़त हो रहे हैं।
यह अध्ययन बाíसलोना इंस्टीट्यूट फॉर ग्लोबल हेल्थ (आइएसग्लोबल) के शोधकर्ताओं के नेतृत्व में किया गया, जिसमें ला कैक्सा फाउंडेशन और यूनिवíसटी इंस्टीट्यूट फॉर प्राइमरी केयर रिसर्च जोर्डी गोल ने सहयोग किया। इस अध्ययन को एनवायरमेंट इंटरनेशनल जर्नल में प्रकाशित किया गया है।
इस तरह किया अध्ययन
इस अध्ययन के लिए सबडेल में नौ से 12 वर्ष की आयु के 2,213 बच्चों के डाटा का विश्लेषण किया गया। इस विश्लेषण में सामने आया कि 40 फीसद बच्चे अधिक वजन वाले या मोटे थे। शोधकर्ताओं ने बच्चों में मोटापे और शहरी कारकों के बीच संबंध की जांच की। इसमें अक्टूबर 2017 से जनवरी 2019 के बीच बच्चों का परिवेश (वायु प्रदूषण, हरा-भरा स्थान, खानपान, सड़क यातायात और वाहनों के कारण ध्वनि प्रदूषण) देखा गया। इस दौरान बच्चों की विभिन्न मापें जैसे बाडी इंडेक्स मास, कमर व शरीर में जमा चर्बी की भी माप की गई। इसके अलावा बच्चों में फास्ट फूड के सेवन की आदत, शारीरिक गतिविधि, नींद का समय आदि को भी देखा गया। अभी तक ऐसे कुछ अध्ययन किए जा चुके हैं, जिनमें शहरी क्षेत्र में रहने वाले बच्चों के व्यवहार और वहां के माहौल के बीच संबंध और मोटापे के खतरे का विश्लेषण किया गया है। यह नवीन अध्ययन और गहराई से बच्चों में मोटापे की पड़ताल करता है।
यह आया सामन
इस अध्ययन के प्रमुख लेखक और आइएसग्लोबल व आडीआइपी जोर्डी गोल में शोधकर्ता जेरोएन डी बोंट के मुताबिक, हमारे अध्ययन में सामने आया कि वायु प्रदूषण का उच्च स्तर और ट्रैफिक व शोर का संबंध बॉडी इंडेक्स मास और बचपन में अधिक वजन या मोटापे से होता है। यानी शहरी क्षेत्रों में जहां ट्रैफिक अधिक है वहां ध्वनि और वायु प्रदूषण के अधिक होने के कारण बच्चों में मोटापे का खतरा अधिक देखा गया। हालांकि, प्रदूषण और मोटापे के सीधे संबंध का पता अभी नहीं चल सका है, लेकिन वैज्ञानिकों के दल ने इसके लिए विभिन्न परिकल्पनाओं के प्रस्ताव रखे हैं।
ये हो सकती हैं वजहें
शोधकर्ताओं के मुताबिक, वायु प्रदूषण आणविक तंत्र को बाधित कर सकता है, जो सूजन या आक्सीडेटिव तनाव, हार्मोन व्यवधान और आंत में वसा के कारण मोटापे की वजह बन सकता है। चूहों पर इसी तरह का अध्ययन प्रकाशित भी हो चुका है। वहीं, शोर नींद में व्यवधान पैदा करता है, जिससे तनाव वाले हार्मोस की वृद्धि होती है। इसकी वजह से बच्चों के शारीरिक विकास पर असर पड़ता है और उनमें मोटापे का खतरा बढ़ जाता है। सरल शब्दों में कहें तो यदि शोर के कारण बच्चे चैन की नींद नहीं ले पाएंगे तो उनकी शारीरिक गतिविधियां भी कम हो जाएंगी। इस वजह से वजन बढ़ सकता है।
ये भी हो सकते हैं कारण
शोधकर्ताओं का यह भी कहना है कि शहरी क्षेत्रों के खानपान में फास्ट फूड का चलन बढ़ गया है। ऐसे में बच्चों द्वारा इसका अधिक सेवन भी उन्हें मोटा बनाने की वजह है, क्योंकि इसके जरिये वे अधिक कैलोरी लेते हैं, लेकिन शारीरिक गतिविधियां कम होने से उसे बर्न नहीं कर पाते। वहीं, शोधकर्ताओं का यह भी मानना है कि शहरी क्षेत्र में प्रदूषण और मोटापे के बीच संबंध का पता लगाने के लिए अभी इस दिशा में और अध्ययन की आवश्यकता है।