मेडिकल पत्रिका लैसेंट चाइल्ड एंड एडोलसेंट हेल्थ में इसको लेकर एक अध्ययन प्रकाशित किया गया है। इस अध्ययन के अनुसार किंग्स कालेज लंदन द्वारा किए गए शोध में यह जानकारी मिली है कि बीस में से केवल एक बच्चे में चार सप्ताह तक कोरोना के लक्षण देखने को मिले।
लंदन, पीटीआइ। कोरोना के वयस्क मरीजों में ठीक होने के बाद तमाम मामले ऐसे मिले हैं, जिनमें इसके प्रभाव लंबे समय तक बने रहते हैं। एक नए अध्ययन में सामने आया है कि बच्चों के मामले में ऐसा नहीं है। बच्चों में कोरोना वायरस का लंबे समय तक असर नहीं रहता है।
मेडिकल पत्रिका लैसेंट चाइल्ड एंड एडोलसेंट हेल्थ में इसको लेकर एक अध्ययन प्रकाशित किया गया है। इस अध्ययन के अनुसार किंग्स कालेज लंदन द्वारा किए गए शोध में यह जानकारी मिली है कि बीस में से केवल एक बच्चे में चार सप्ताह तक कोरोना के लक्षण देखने को मिले। आठ सप्ताह में तो सभी बच्चे पूरी तरह से ठीक हो गए। बच्चों में इस दौरान आमतौर पर सिरदर्द और थकान की शिकायत रही। इन सभी बच्चों में गले में खराश, गंध की कमी, चक्कर आना या दौरे जैसे गंभीर लक्षण नहीं दिखे। शोध के जो नतीजे सामने आए हैं, वह बच्चों के अभिभावकों को राहत देने वाले हैं।
अध्ययन करने वाले दल का नेतृत्व करने वाली किंग्स कालेज, लंदन की प्रोफेसर एम्मा डंकन ने बताया कि अधिकांश बच्चों पर कोरोना का असर बहुत कम रहा। टीम ने 5 से 17 वर्ष के ढाई लाख बच्चों या उनकी देखभाल करने वाले परिवारों पर यह अध्ययन किया। जिन बच्चों के कोरोना टेस्ट पाजिटिव मिले, उनमें कोरोना के हल्के लक्षण पाए गए। टीम ने शोध का समय सितंबर 2020 से फरवरी 2021 के बीच का रखा। संक्रमित बच्चों में से अधिकांश में कोरोना वायरस के लक्षण पांच दिन तक रहे। कई में चार सप्ताह में कोरोना का असर पूरी तरह समाप्त हो गया। आठ सप्ताह तक तो सभी बच्चे पूरी तरह ठीक हो गए थे।