बलरामपुर में एक थारू बालिका की तेंदुए के हमले में जान चली गई। घटना के समय बालिका अपने घर के बाहर खेल रही थी तभी तेंदुए ने हमला कर दिया और अपने जबड़े में कसकर अपने साथ जंगल ले गया।
बलरामपुर, जंगलवर्ती गांवों में तेंदुए की दहशत बढ़ती जा रही है। पचपेड़वा वन क्षेत्र के कुशमहर गांव में बुधवार की रात तेंदुए के हमले में सात वर्षीया रागिनी पुत्र लालमन थारू गंभीर रूप से घायल हो गई। समय से इलाज न मिल पाने के कारण गुरुवार सुबह उसने दम तोड़ दिया। पीड़ित परिवारजन का रो-रोकर हाल बेहाल है। उधर तेंदुए के आदमखोर हो जाने से ग्रामीणों में दहशत का माहौल है।
पचपेड़वा ब्लाक मुख्यालय से करीब छह किलोमीटर दूर कुशमहर गांव है। यहां थरू परिवार के लोग आबाद हैं। बुधवार की रात करीब नौ बजे रागिनी घर के सामने सहेलियों के साथ खेल रही थी। इसी बीच तेंदुए ने उस पर हमला बोल दिया। तेंदुआ रागिनी का गला जबड़े में कसकर जंगल में घसीट ले गया। रागिनी की सहेलियों ने शोर मचाना शुरू कर दिया। हल्ला-गुहार पर ग्रामीण तेंदुए की तरफ दौड़ पड़े। तेंदुआ रागिनी को छोड़कर भाग गया। खून से लथपथ रागिनी को लेकर स्वजन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे। यहां प्राथमिक उपचार के बाद चिकित्सक ने हालत नाजुक देखते हुए जिला अस्पताल ले जाने की सलाह दी। घायल बालिका के परिवारजन उसे बहराइच ले जाने की तैयारी में थे, लेकिन आर्थिक तंगी के कारण प्राइवेट एंबुलेंस का किराया दे पाने में अक्षम थे।
बालिका को जिला मेमोरियल अस्पताल भी लेकर नहीं आए। समय से इलाज न मिल पाने के कारण गुरुवार सुबह रागिनी की मौत हो गई। भांभर रेंज के रेंजर कोटेश त्यागी ने बताया कि रात से ही वनकर्मी गांव में मौजूद हैं। मैं खुद गया था। रागिनी का परिवार अत्यंत गरीब है। इसलिए दवा-इलाज के लिए निजी तौर पर पांच हजार रुपये भी दिए थे। प्रभागीय वनाधिकारी से वार्ता कर गांव में पिंजरा लगाया जाएगा। ग्रामीणों को सतर्क रहने व समूह में निकलने की नसीहत दी गई है।