मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को मंत्रिपरिषद के समक्ष धर्मार्थ कार्य पर्यटन संस्कृति व भाषा विभागों की कार्ययोजना प्रस्तुतिकरण के दौरान कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में 21वीं सदी में भारत में सांस्कृतिक नवजागरण हो रहा है।
लखनऊ । उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार 2.0 बुजुर्ग संतों, पुजारियों व पुरोहितों के हित में बड़ा कदम उठाने जा रही है। भाजपा के लोक कल्याण संकल्प के वादे के अनुरूप सीएम योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश में पुरोहित कल्याण बोर्ड गठित करने का आदेश दे दिया है। इसी प्रकार ईको एंड रूरल टूरिज्म और सभी 75 जिलों में पर्यटन एवं संस्कृति परिषद का गठन किया जाए।
सीएम योगी आदित्यनाथ ने निर्देश दिया कि आगामी 100 दिनों के भीतर श्रद्धालुओं और पर्यटकों की सुविधा के दृष्टिगत ऑनलाइन एकीकृत मंदिर सूचना प्रणाली का विकास किया जाना चाहिए। जिसमें मंदिरों का विवरण, इतिहास, रूट मैप की जानकारी हो।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को मंत्रिपरिषद के समक्ष धर्मार्थ कार्य, पर्यटन, संस्कृति व भाषा विभागों की कार्ययोजना प्रस्तुतिकरण देखा और दिशा निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में 21वीं सदी में भारत में सांस्कृतिक नवजागरण हो रहा है। प्रदेश की अद्वितीय सांस्कृतिक पहचान को संरक्षित, संवर्धित एवं लोकप्रिय बनाते हुए राज्य को सांस्कृतिक गंतव्य के रूप में प्रतिष्ठित करने का हमारा प्रयास है।
उन्होंने कहा कि जन आकांक्षाओं के अनुरूप श्रीकाशी विश्वनाथ धाम कॉरीडोर निर्माण, अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण, अयोध्या दीपोत्सव, ब्रज रंगोत्सव, काशी की देव-दीपावली, विंध्य धाम कॉरिडोर, नैमिष तीर्थ, शुक तीर्थ पुनरोद्धार, मां अन्नपूर्णा की प्रतिमा 100 साल बाद वापस प्रतिष्ठापित होना, सोरों-सूकरक्षेत्र विकास आदि प्रयास अद्भुत हैं। यह पूरे विश्व में नए भारत के नए उत्तर प्रदेश की पहचान बन देने वाले हैं। प्रधानमंत्री के प्रयासों से उत्तर प्रदेश नेचर, कल्चर और एडवेंचर का संगम बन रहा है।
प्रदेश में चिन्हित 12 परिपथ के विकास के कार्यों को प्रतिबद्धता के साथ पूर्ण कराया जाए। रामायण परिपथ, बुद्धिष्ट परिपथ, आध्यत्मिक परिपथ, शक्तिपीठ परिपथ, कृष्ण/ब्रज परिपथ, बुंदेलखंड परिपथ, महाभारत परिपथ, सूफी परिपथ, क्राफ्ट परिपथ, स्वतंत्रता संग्राम परिपथ, जैन परिपथ एवं वाइल्ड लाइफ एंड इको टूरिज्म परिपथ उत्तर प्रदेश में पर्यटन को नई पहचान देंगे।
यह भी दिए निर्देश
- उत्तर प्रदेश दिवस की तर्ज पर जनपद/गांव/नगर के इतिहास के प्रमुख दिवस।
- श्रीअयोध्या धाम में जन्मभूमि पथ और अयोध्या मुख्य मार्ग से हनुमानगढ़ी होते हुए श्रीरामजन्मभूमि तक ‘भक्ति पथ’ चार लेन मार्ग के निर्माण।
- जनपद प्रयागराज, मथुरा, गोरखपुर एवं वाराणसी में भजन संध्या स्थल।
- सूरदास ब्रजभाषा अकादमी, गोस्वामी तुलसीदास अवधी अकादमी, केशवदास बुंदेली अकादमी, संतकबीरदास भोजपुरी अकादमी की स्थापना।
- श्रृंगवेरपुर में निषादराज गुह्य पर्यटन, लखनऊ में महाराजा बिजली पासी के किले पर लाइट एंड साउंड शो, बहराइच में महाराजा सुहेलदेव स्मारक निर्माण।
- आगरा में छत्रपति शिवाजी महाराज स्मारक। सीतामढ़ी स्थल भदोही का विकास।
- मथुरा के बरसाना तथा प्रयागराज में झूंसी से त्रिवेणी पुष्प तक रोप-वे निर्माण। लखनऊ और प्रयागराज में हेली टूरिज्म।
- आगरा और मथुरा के हेलीपोर्ट और आगरा स्थित छत्रपति शिवाजी महाराज संग्रहालय का संचालन पीपीपी मोड पर किया जाएगा।
- ‘एडॉप्ट ए हेरिटेज’ नीति के तहत छतर मंजिल, दर्शन विलास कोठी लखनऊ, गोवर्धन की छतरियां, मथुरा, कर्मदेश्वर महादेव, काशी, चुनार किला, मिर्जापुर, बरूआ सागर झील किला में हेरिटेज मित्र का चयन। एनसीसी, एनएसएस, युवक/महिला मंगल दल के माध्यम से ‘पर्यटन मित्र’ तैयार होंगे।
- बलरामपुर के इमिलिया कोडर में थारू जनजाति संस्कृति संग्रहालय। राजकीय अभिलेखागार लखनऊ में आजादी की गौरव गाथा पराधारित वीथिका का निर्माण।
- संगीत नाटक अकादमी के स्टूडियो में कम्युनिटी रेडियो शुरू होगा। इस कम्युनिटी रेडियो का नाम ‘जयघोष’ होगा।
- आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर प्रदेश के 75 जनपदों के समृद्ध इतिहास से परिचय कराती 75 पुस्तकों का प्रकाशन। राष्ट्रभक्ति पर आधारित 75 लघु फिल्मों का प्रदर्शन।
- लखनऊ, सोनभद्र व लखीमपुर खीरी में जनजातीय संग्रहालय की स्थापना। कन्नौज में बाल संग्रहालय की स्थापना।
- रामायण परंपरा की ‘कल्चरल मैपिंग’ होगी। राम वन गमन पथ पर रामायण वीथिकाओं का निर्माण।
- हस्तिनापुर (मेरठ) व गोरखपुर में प्राकृतिक विज्ञान संग्रहालय। वाराणसी में संत रविदास संग्रहालय व सांस्कृतिक केंद्र की स्थापना।
- सभी विश्वविद्यालयों में गौरव गैलरी की स्थापना। रामसनेही घाट बाराबंकी में रामायण सांस्कृतिक केंद्र व शिल्पग्राम का विकास।
- हैपिनेस इंडेक्स में सुधार के दृष्टिगत विभिन्न योग एवं आध्यात्मिक संस्थाओं से समन्वय कर कार्यशालाओं का आयोजन।