बेलारूस के खिलाफ खड़ा हुआ यूरोपीय संघ, तनाव के बीच लिथुआनिया ने सीमा पर शुरू की फेंसिंग,

लिथआनिया के पत्रकार की बेलारूस द्वारा जबरन गिरफ्तारी किए जाने के बाद से दोनों के बीच संबंधों में काफी तनाव आ चुका है। बेलारूस का साथ यूरोपीय संघ भी दे रहा है। वहीं बेलारूस ने अब अपनी सीमा को बंद करने की योजना पर काम शुरू कर दिया है।

 

विलनियस, लिथुवानिया (रायटर)। लिथुआनिया और बेलारूस के बीच तनाव बढ़ता ही जा रहा है। इसकी वजह से लिथुआनिया आ रहे विमान को जबरन बेलारूस की राजधानी मिंस्‍क में उतारकर उसके एक पत्रकार को गिरफ्तार करना। कई देशों और अंतरराष्‍ट्रीय संगठनों की अपील के बाद भी बेलारूस ने इस पत्रकार को रिहा नहीं किया है। वहीं माना जा रहा है कि इस पत्रकार और बेलारूस के पूर्व नेता और वहां के राष्‍ट्रपति के घोर विरोधी रेमन प्रतासेविच को बेलारूस में 15 वर्ष की सजा सुनाई जा सकती है। इस बढ़ते तनाव के मद्देनजर अब लिथुआनिया ने बेलारूस की सीमा पर फेंसिंग लगाने का काम शुरू कर दिया है।

आपको बता दें कि रूस के विघटन से पूर्व ये दोनों ही तत्‍कालीन सोवियत संघ का हिस्‍सा हुआ करते थे। इन दोनों के बीच करीब 678 किमी लंबी सीमा रेखा है, जिस पर हमेशा तनाव बना रहता है। यही वजह है कि लिथुआनिया की प्रधानमंत्री इनग्रिडा शिमोनाइट ने अब सीमा पर फेंसिंग करने की घोषणा की थी। सीमा की निगरानी के लिए अब यहां पर वो सैनिकों की भी तैनाती करेंगी। प्रधानमंत्री शिमोनाइट के इस फैसले को उनका यूटर्न भी बताया जा रहा है। ऐसा इसलिए क्‍योंक‍ि कुछ समय पहले उन्‍होंने इस योजना को पैसे और समय की बर्बादी बताया था। अब इस फैसले पर अनुमानित तौर पर करीब डेढ़ करोड़ यूरो का खर्च आएगा।

जानकारों के मुताबिक पीएम के इस यूटर्न की वजह बेलारूस से गैर कानूनी रूप से आने वाले प्रवासी हैं। सरकार का कहना है कि इस वर्ष जुलाई तक 1300 से अधिक प्रवासियों ने उसकी सीमा पर प्रवेश किया है। वहीं पिछले वर्ष इनकी संख्‍या महज 81 थी। आपको बता दें कि ये यूरोपीय संघ की बाहरी सीमा है। बेलारूस के प्रति यूरोपीय संघ का भी बेहद कड़ा रुख है। इसका मानना है कि बेलारूस के राष्‍ट्रपति चुनाव में हुई धांधली और इसके बाद वहां पर जो विरोध प्रदर्शन हुए हैं उसके खिलाफ राष्‍ट्रपति ने अत्‍यधिक बल प्रयोग किया है। वहां पर लगातार मानवाधिकार उल्‍लंघन के मामले सामने आ रहे हैं। इसकी वजह से यूरोपीय संघ ने उसके खिलाफ कई प्रतिबंध भी लगाए हैं। अब बेलारूस इसका ही बदला ले रहा है। गौरतलब है कि अमेरिका ने भी इसी सप्‍ताह वहां से आने और जाने वाली नियमति उड़ानों पर पूरी तरह से पाबं‍दी लगा दी है।

पीएम शिमोलाइट का कहना है कि बेलारू जो हरकत कर रहा है वो न सिर्फ लिथुआनिया बल्कि पूरे यूरोपीय संघ के खिलाफ हैं। उन्‍होंने बेलारूस पर लगे प्रतिबंधों को भी जायज ठहराया है। यूरोपीय संघ के कड़े रुख के बाद बेलारूस की तरफ से भी तीखी प्रतिक्रिया सामने आई है। बेलारूस ने आरोप लगाया है कि यूरोपीय संघ में युद्धग्रस्त देशों के प्रवासी बिना किसी रोकटोक के घुस रहे हैं। लिथुआनिया में भी आने वाले अधिकतर प्रवासी अफगानिस्तान, इराक और सीरिया से हैं।

इसके जवाब में लिथुआनिया की पीएम शिमोनाइट ने कहा है कि इस तरह के प्रवासियों की यूरोपीय संघ में एंट्री के लिए बेलारूस ही जिम्‍मेदार है, क्‍योंकि वो इसके पीछे शामिल है। वो जानबूझ कर सीमा पर इस तरह के हालात बना रहा है कि प्रवासी यूरोपीय संघ में आसानी से घुस सकें। लिथुआनिया ने जून में हुए यूरोपीय संघ के शिखर सम्मेलन से पहले कहा था कि बेलारूस प्रवासियों को एक राजनीतिक हथियार के रूप में प्रयोग कर रहा है। इस संबंध में लिथुआनिया ने बेलारूस के राजदूत को बातचीत के लिए भी बुलाया था। इस तरह के प्रवासियों की आवाजाही को रोकने में मदद के लिए लिथुआनिय ने तुर्की से भी मदद करने को कहा है। लिथुआनिया का कहना है कि बेलारूस के रास्‍ते उनके देश में आने वाले प्रवासी बड़ी संख्‍या में तुर्की एयरलाइंस के जरिए आते हैं। इसलिए इनकी पहचान करना आसान है।

पीएम शिमोनाइट के मुताबिक मिंस्‍क और बगदाद के बीच कई सीधी उड़ानें हैं। बेलारूस की कई ट्रेवल एजेंसियां उनको वहां आने के लिए लुभाने का काम करती हैं। समुद्र के रास्‍ते भी कई प्रवासी पहले बेलारूस और फिर लिथुआनिया आते हैं। लिथुआनिया का आरोप है कि ये लोग बेलारूस की सरकारी हवाई कंपनी बेलाविया का भी इस्‍तेमाल कर रहे हैं। इस मुद्दे पर लिथुआनिया की सरकार आने वाले सप्‍ताह में विशेष सत्र बुला रही है। इसमें इस तरह के प्रवासियों को रोकने और बेलारूस से लगती सीमा पर कड़ी निगाह रखने से संबंधित कानून पर विचार करने वाली है। इसमें शरणार्थियों के लिए प्रक्रिया को सरल करने पर भी विचार किया जाएगा। वहीं बेलारूस ने इसके खिलापु धमकी दी है कि यदि ऐसा होता है तो वो यूरोपीय सामानों की आवाजाही को अवरुद्ध कर देगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *