बैंक नहीं यहां मिल रहा है FD पर ज्यादा ब्याज, साथ ही डबल फायदा

फिक्स्ड डिपोजिट (FD) परंपरागत रूप से आम निवेशकों के बीच लोकप्रिय है। हालांकि, हाल के दिनों में इस पर ब्याज दरें बेहद कम हो गई हैं, जबकि जीवन बीमा के गारेंटेड प्लान में एफडी के ब्याज से अधिक रिटर्न मिल रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार, 30 फीसदी के टैक्स श्रेणी में आने वालों के लिए गारेंटेंड प्लान एफडी से बेहतर विकल्प हो सकता है। हालांकि, उनका यह भी कहना है कि निवेश का फैसला अपनी वित्तीय स्थिति और जरूरत के अनुसार ही करें। पांच साल की एफडी और जीवन बीमा पॉलिसी दोनों पर टैक्स छूट मिलती है। लेकिन बीमा पर कई स्तरों पर टैक्स छूट इसे ज्यादा बेहतर बना देती है।

 

एफडी पर इतना मिल रहा है ब्याज

मौजूदा समय में एसबीआई पांच साल की एफडी पर 5.4 फीसदी ब्याज दे रहा है। पांच साल की एफडी में निवेश टैक्स फ्री है। लेकिन ब्याज पर टैक्स लगता है। ऐसे में 30 फीसदी टैक्स श्रेणी में आने वाले करदाता को इस एफडी पर चार फीसदी से भी कम रिटर्न मिलेगा। इस तरह एफडी घाटे का सौदा है।

बीमा पॉलिसी पर तिहरी टैक्स छूट

बीमा पॉलिसी में निवेश, रिटर्न और परिपक्वता पर मिलने वाली राशि तीनों पर टैक्स छूट मिलती है। यानी इसपर कोई टैक्स नहीं लगता है। मौजूदा समय में ज्यादातर गारेंटेड बीमा पॉलिसी में पांच फीसदी से अधिक रिटर्न मिल रहा है। किसी भी तरह का टैक्स नहीं होने से एफडी के मुकाबले बीमा पॉलिसी ज्यादा फायदेमंद है। बीमा क्षेत्र की सलाहकार कंपनी बेशक डॉट ओआरजी के संस्थापक महावीर चोपड़ा का कहना है कि गारेंटेड प्लान में एजेंट का कमीशन काफी ऊंचा होता है। ऐसे में कई बार बैंक या एजेंट ग्राहकों से इसे लेने को कहते हैं। उनका कहना है कि पॉलिसी लेते समय पूरी पड़ताल करें और एजेंट के दावों को इंटरनेट के जरिये परखें।

10 साल के लिए निवेश जरूरी

विशेषज्ञों का कहना है कि गारेंटेड बीमा पॉलिसी पर टैक्स छूट के लिए न्यूनतम 10 साल का निवेश जरूरी है। साथ ही बीमा कवर सालाना प्रीमियम का कम से कम 10 गुना होना चाहिए। ऐसे में बीमा पॉलिसी लेते समय इस बात का ध्यान जरूर रखें। वित्तीय सलाहकारों का कहना है कि बीमा पॉलिसी में कवर को तरजीह दें और तब रिटर्न का आकलन करें। उनका कहना है कि कई बार ज्यादा ऊंची रिटर्न वाली पॉलिसी में बीमा कवर बेहद कम होता है। ऐसे में फैसला करने के पहले इसकी पड़ताल जरूर करें।

समय पर निकासी की सुविधा देखें

निवेश मुश्किल वक्त के लिए किया जाता है। ऐसे में जरूरत पर उसकी निकासी कितनी सुविधाजनक है यह देखना भी जरूरी है। एफडी में रिटर्न भले ही कम हो लेकिन जरूरत पर उसे समय से पहले तोड़ सकते हैं। हालांकि, इसके लिए कुछ शुल्क चुकाना पड़ता है। वहीं बीमा पॉलिसी में तीन साल के बाद ही आंशिक निकासी की सुविधा होती है।

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