भारत ने साहित्य की दस पुस्तकों का अनुवाद एससीओ में किया प्रस्तुत, जानिए कौन सी हैं ये किताबें,

एससीओ में आर्थिक और सुरक्षा ब्लाक के आठ सदस्य देश चीन रूस कजाखस्तान किर्गिस्तान ताजिकिस्तान उज्बेकिस्तान भारत और पाकिस्तान शामिल हैं। मंगलवार का यह प्रेजेंटेशन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वर्ष 2019 में बिश्केक में हुई एससीओ के प्रमुखों की बैठक में की गई घोषणा का फालोअप है।

 

बीजिंग, प्रेट्र। भारत ने शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के मुख्यालय में आधुनिक साहित्य पर भारतीय लेखकों की विभिन्न भाषाओं में लिखी दस क्लासिक किताबों को अंग्रेजी, रूस और चीनी भाषा अनुवाद प्रस्तुत किया है। इस अवसर पर एससीओ के सचिवालय में इन पुस्तकों को चीन में भारत के राजदूत विक्रम मिस्त्री ने एससीओ के महासचिव व्लादिमीर नोरोव को पेश किया।

एससीओ में आर्थिक और सुरक्षा ब्लाक के आठ सदस्य देश चीन, रूस, कजाखस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान, भारत और पाकिस्तान शामिल हैं। मंगलवार का यह प्रेजेंटेशन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वर्ष 2019 में बिश्केक में हुई एससीओ के प्रमुखों की बैठक में की गई घोषणा का फालोअप है। मोदी ने कहा था कि भारत की दस महान रचनाओं का एससीओ की आधिकारिक भाषाओं रूसी और चीनी भाषा मंडारिन में अनुवाद किया जाएगा। साहित्य अकादमी के अनुसार अनुवाद के कार्य को पिछले साल के अंत में ही पूरा कर लिया गया था। भारतीय दूतावास एससीओ सदस्यों के पर्यवेक्षकों, वार्ताकारों और अन्य मिशनों को अनुवाद की गई इन पुस्तकों को वितरित करेगा।

अनुवादित पुस्तकों में तारा शंकर बंदोपाध्याय की लिखी आरोग्यानिकेतन (बांग्ला), राजेंद्र सिंह बेदी की ओरडेंड बाय फेट (उर्दू), रचकोंडा विश्वनाथ शास्त्री की लिखी ईलू (तेलुगु), निर्मल वर्मा की लिखी ‘द लास्ट एक्जिट’ (हिंदी), सैयद अब्दुल मलिक की लिखी लांगिंग फार सनशाइन (असमिया), मनोज दास की उड़िया में लिखी मिस्ट्री आफ द मिसिंग कैप व अन्य लघु कहानियां शामिल हैं। गुरदयाल सिंह की द लास्ट फिकर (पंजाबी), घेवरचंद मेघनानी की लिखी द प्रामिस्ड हैंड (गुजराती) भी शामिल हैं।

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