एक अनुमान के मुताबिक क्रिप्टो हेज फंड्स के पास दुनिया में क्रिप्टो एसेट्स में 3.8 बिलियन डॉलर से ज्यादा संपत्ति है। अमेरिका में कम से कम 26 प्रतिशत आबादी के पास बिटकॉइन हैं।
नई दिल्ली । ग्लोबल क्रिप्टो उद्योग पिछले एक दशक में बहुत तेजी से बढ़ा है। आज क्रिप्टो एसेट्स का कुल मार्केट कैप 1.9 ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा है। भारत में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज पर स्टॉक्स का कुल मार्केट कैप 3.5 ट्रिलियन डॉलर से कम है। सन 2021 में दुनिया में वेंचर कैपिटलिस्ट्स ने क्रिप्टो में 33 बिलियन डॉलर का निवेश किया है। क्रिप्टो एसेट्स जैसे बिटकॉइन और इथेरियम से मिलने वाले हाई रिटर्न्स ने इन्वेस्टमेंट बैंक्स और संस्थागत निवेशकों को अपनी ओर आकर्षित किया है।
पारंपरिक और वित्तीय संस्थान भी टेक्नॉलॉजी में हो रहे बदलाव के अनुरूप ढल रहे हैं। वॉल स्ट्रीट के दिग्गज Goldman Sachs ने इस माह पहले ओवर-द-काउंटर क्रिप्टो ट्रेड को प्रोसेस किया। इन्वेस्टमेंट बैंक मॉर्गन स्टैनली और जेपी मॉर्गन अपने ग्राहकों के उच्च-नेटवर्क को वो फंड उपलब्ध करा रहे हैं, जो बिटकॉइन में निवेश करते हैं।
क्रिप्टो एसेट्स एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स या ईटीएफ (ETF) से अप्रत्यक्ष रूप से नियमित स्टॉक एक्सचेंज पर भी सूचीबद्ध हो रहे हैं। इसका एक उदाहरण प्रोशेयर्स बिटकॉइन स्ट्रेट्जी ईटीएफ (BITO) है, जो न्यूयार्क स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्ट है। हाल ही में यह 1 बिलियन डॉलर एसेट्स अंडर मैनेजमेंट करने वाला सबसे तेज ईटीएफ बना। भारत में नियामक स्पष्टता से हमारे देश में विदेशी निवेश आ सकता है और भारत की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिल, ईज-ऑफ-डुइंग-बिज़नेस में सुधार हो सकता है और नौकरियों में वृद्धि हो सकती है।
भारत में दुनिया की ब्लॉकचेन डेवलपर्स की दूसरी सबसे बड़ी आबादी है। ये प्रतिभाशाली सॉफ्टवेयर इंजीनियर्स और डेवलपर्स हैकेथॉन और अन्य कार्यक्रमों में सबसे बड़ा योगदान देते हैं। उनमें से कुछ उद्यमी बन गए हैं, जो भारत में स्टार्टअप स्थापित कर वास्तविक दुनिया की समस्याओं का समाधान करते हैं। अगर भारत एक अनुकूल नियामक ढांचा लागू नहीं करता है, तो ये इन्नोवेटर्स ज्यादा अनुकूल व्यवस्था वाले विदेशी देशों में जाने के लिए प्रलोभित हो जाएंगे।
दुबई ने हाल ही में क्रिप्टो कंपनियों को लाइसेंस दिए जाने के कानून बनाए हैं। पूर्वी एशिया के देशों-सिंगापुर, दक्षिण कोरिया और जापान में भी क्रिप्टो परिवेश के लिए नियम बना लिए गए हैं। अमेरिका में व्योमिंग में अनेक क्रिप्टो-फाईनेंशल संस्थान आकर्षित हो रहे हैं, जहां दुनिया के सबसे प्रगतिशील कानून हैं।
इन देशों में क्रिप्टो द्वारा लाई गई टेक्नॉलॉजिकल क्रांति बहुत जल्द शुरू होने की उम्मीद है।
भारत में पहले भी ऐसा मोड़ आया है। 1990 के शुरुआत में प्रतिभाशाली भारतीय इंजीनियर्स और सॉफ्टवेयर डेवलपर्स ने इंटरनेट की शुरुआत के समय या इंटरनेट 1.0 के वक्त आईबीएम, माईक्रोसॉफ्ट और गूगल जैसी कंपनियों से आकर्षित होकर अमेरिका पलायन कर लिया। तब से ये कंपनियां इंटरनेट की गेटकीपर बनकर विकसित हो गईं।
क्रिप्टो टेक्नॉलॉजी के साथ भारत को नए इंटरनेट, वेब 3.0 का आधार स्थापित करने का अवसर मिला है। हमारे देश में इस परिवर्तन को लाने के लिए प्रतिभाओं एवं टेक्नॉलॉजिकल कौशल की कोई कमी नहीं।
भारत का पॉपुलेशन-स्केल डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर, जैसे यूपीआई और आधार विकसित देशों के मुकाबले भी आगे है। अपने इस सामर्थ्य को ब्लॉकचेन के साथ मिलाकर एक टेक्नॉलॉजिकल परिवर्तन लाया जा सकता है। लेकिन यह तभी संभव है, जब भारत में एक अनुकूल नियामक ढांचा हो, जो क्रिप्टो की असली क्षमता को पहचान हो।
(लेखक कॉइनस्विच के को-फाउंडर और सीईओ हैं। छपे विचार उनके निजी हैं।)