निरंतर मौसम में परिवर्तन और ग्लोबल चेंज के कारण वातावरण परिवर्तित हो रहा है कभी ऐसा नहीं हुआ कि सितंबर और अक्टूबर में इतनी भारी बारिश हुई हो। इस बारिश से धान की खेती को सर्वाधिक नुकसान है।
लखनऊ, आवाज़ ~ ए ~ लखनऊ । लगातार हो रही बारिश से जहां आम जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया है, वही सबसे बड़ी परेशानी अन्नदाता किसानों को है। धान की जहां खड़ी फसल गिर गई है, वहीं सब्जियों की खेती भी प्रभावित हो गई। आलू की बुआई कर चुके किसान परेशान हैं। बारिश ने किसानों की नींद उड़ा दी है। कद्दू ,उड़द, गाजर, धनिया व पपीता की खेती भी प्रभावित हुई है। अगस्त में सूखे जैसे हालात हुए, लेकिन सितंबर अंतिम सप्ताह से अक्टूबर में अब तक हो रही बारिश से किसानों की चिंता की लकीरें साफ देखी जा सकती हैं।
मौसम परिवर्तन से वैज्ञानिक भी हैरानः निरंतर मौसम में परिवर्तन और ग्लोबल चेंज के कारण वातावरण परिवर्तित हो रहा है कभी ऐसा नहीं हुआ कि सितंबर और अक्टूबर में इतनी भारी बारिश हुई हो। विशेषज्ञ डॉ. सतेंद्र कुमार सिंह में बताया कि प्रमुख रूप से सितंबर माह का अंतिम पखवारा और अक्टूबर माह का प्रथम और द्वितीय पखवाड़ा किसानों के लिए अमृत पखवाड़ा माना जाता है । किसान ज्यादातर अपनी फसलों की बुआई अक्टूबर में प्रारंभ कर देते हैं। प्रमुख रूप से आलू, टमाटर की रोपाई, मूली, शलजम, गाजर, पालक, पत्तागोभी, गांठ गोभी, सोया मेथी की बुआई हो जाती है।
धान और ज्वार की खेती को नुकसानः अक्टूबर के पहले सप्ताह में प्रमुख रूप से अधिकतर फसलें जिसमें धान, ज्वार, बाजरा, उड़द, सफेद तिल और छोटे मिलेट्स पककर तैयार हो जाते हैं । एक तरफ बेसहारा मवेशियों से फसलों को बचाना मुश्किल हुआ वहीं दूसरी तरफ मौसम में निरंतर परिवर्तन के कारण फसलें चौपट हो रही हैं। बख्शी का तालाब क्षेत्र के प्रगतिशील किसान धीरेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि हमारे पास चार एकड़ धान की फसल पककर तैयार थी हारवेस्टिंग होनी थी पूरी फसल जमीन में लेट गई है और पानी भरा है।
यदि यही स्थिति रही तो पूरा धान जम जाएगा। वहीं पर भौली गांव के प्रगतिशील किसान सुनील वर्मा ने बताया कि हमने दो एकड़ धनिया की खेती की थी, बरसात होने से हमारी पूरी फसल चौपट हो गई और पपीता की फसल में अधिक जलभराव के कारण जडें सड़ जाने से पूरी की पूरी फसल बर्बाद हो गई। चंद्रभानु गुप्त कृषि स्नातकोत्तर महाविद्यालय के कृषि विशेषज्ञ डॉ सत्येंद्र कुमार सिंह ने बताया कि मौसम में अभी और परिवर्तन देखने को मिलेगा कहीं ना कहीं करोना संक्रमण काल के बाद किसानों का अधिक नुकसान हो रहा है।
एक तरफ किसान की भूमि अनुउपजाऊ होती चली जा रही है दूसरी तरफ मौसम में परिवर्तन के कारण समय पर फसलों की बुआई नहीं हो पा रही। यहां तक की पकी बरसात के कारण फसलें खेतों में ही सड जा रही हैं। डॉ सिंह ने बताया कि आने वाला समय किसानों के लिए बहुत अच्छा नहीं है किसानों को कम समय वाली फसलों पर फोकस करना होगा और बीमा के साथ सरकारी योजनाओं में अपना पंजीकरण कराना होगा जिससे उनकी कुछ न कुछ भरपाई होती रहेगी।