भाजपा प्रवक्ता गौरव भाटिया ने बुधवार को विपक्षी दलों पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि पिछले 9 साल से नरेन्द्र मोदी देश की सेवा में समर्पित हैं। हमने देखा कि जांच एजेंसियां निष्पक्ष तरीके से भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कार्रवाई कर रही हैं।
नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने बुधवार को कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्षी दलों पर जमकर निशाना साधा। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने 14 विपक्षी दलों द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया था। भाजपा प्रवक्ता गौरव भाटिया ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि पिछले 9 साल से नरेन्द्र मोदी देश की सेवा में समर्पित हैं। इस दौरान हमने देखा कि जांच एजेंसियां निष्पक्ष तरीके से भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कार्रवाई कर रही हैं। उनको पकड़ रही हैं।
”भ्रष्टाचारियों को सता रहा डर, कोर्ट जाने पर रद्द नहीं होगा मुकदमा”उन्होंने कहा कि विपक्ष में मौजूद भ्रष्टाचारी नेता कोर्ट में मुकदमा रद्द कराने नहीं जाते हैं, क्योंकि इन लोगों को डर है कि हलफनामा देने पर तथ्य सामने आएंगे और मुकदमा रद्द नहीं होगा।
भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि 14 राजनीतिक दल कोर्ट गए जिनमें मुख्य रूप से कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल (RJD), तृणमूल कांग्रेस (TMC), आम आदमी पार्टी (AAP), भारत राष्ट्र समिति (BRS) शामिल थी।
SC ने विपक्षी दलों की खारिज की याचिकागौरव भाटिया ने कहा, ”प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ ने कहा कि अगर आप नेता भी हैं, तो आपको कोई अधिकार नहीं है कि आपके लिए कोई अलग कानून होगा। कानून सभी के लिए बराबर है और कानून की नजर में हर व्यक्ति बराबर है, इसलिए कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी।”
उन्होंने कहा कि एक भाव भाजपा में, हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि कोई वीवीआईपी कल्चर नहीं है और एक भाव भ्रष्टाचारियों के मन में है कि मैं कानून, जनता और संविधान से ऊपर हूं। ऐसे में सर्वोच्च न्यायालय ने इन लोगों को बताया कि आपके लिए कोई विशेष कानून नहीं हो सकता।
भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि एक और बात स्पष्ट हो गई कि अगर किसी भ्रष्टाचारी को यह गलतफहमी है कि भ्रष्टाचार करेंगे और कानून का हाथ उन तक नहीं पहुंचेगा, तो उनको बता दूं, ये मोदी सरकार है… जनता से लूटा गया एक-एक रुपया वसूला जाएगा।
सिंघवी ने कोर्ट में दी थी यह दलीलविपक्षी दलों की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील दी थी कि 2013-14 से 2021-22 तक सीबीआई और ईडी के मामलों में 600 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। ईडी द्वारा 121 नेताओं की जांच की गई है, जिनमें से 95 प्रतिशत विपक्षी दलों से हैं, जबकि सीबीआई ने 124 नेताओं की जांच की, जिनमें से 95 फीसदी से अधिक विपक्षी दलों से संबंधित हैं।