मंगल के दक्षिणी ध्रुव के नीचे पानी की झीलों की मौजूदगी पर संदेह, अब वैज्ञानिकों ने कही यह बात

शोधकर्ताओं का कहना है कि यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के मार्स एक्सप्रेस ऑर्बिटर से प्राप्त डाटा का प्रयोग कर जिसे मंगल के दक्षिणी ध्रुव के नीचे पाई जाने वाली उपसतह झीलें बताया गया था वास्तव में वे झीलें नहीं हो सकती हैं।

 

न्यूयार्क, आइएएनएस। दूसरे ग्रहों खासकर मंगल को लेकर विज्ञानी हमेशा ही उत्साहित रहते हैं। अन्य ग्रहों पर मानव बस्तियां बसाने का सपना देख रहे विज्ञानी इस दिशा में निरंतर अध्ययन करते रहते हैं। इसी क्रम में एक अहम तथ्य सामने आया है। अब शोधकर्ताओं का कहना है कि यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के मार्स एक्सप्रेस ऑर्बिटर से प्राप्त डाटा का प्रयोग कर जिसे मंगल के दक्षिणी ध्रुव के नीचे पाई जाने वाली उपसतह झीलें बताया गया था, वास्तव में वे झीलें नहीं हो सकती हैं।

इसलिए हुआ कंफ्यूजन 

साल 2018 में दो शोध दलों ने मार्स एक्सप्रेस ऑर्बिटर के डाटा पर काम करते हुए एक आश्चर्यजनक खोज की घोषणा की थी। उस वक्त लाल ग्रह के दक्षिणी ध्रुव से मिले परावर्तित रडार सिग्नल्स से झील होने का दावा किया गया था। वहीं, अब नासा और एरिजोना स्टेट यूनिवर्सिटी (एएसयू) के विज्ञानियों के एक दल ने मंगल एक्सप्रेस डाटा के व्यापक सेट का विश्लेषण करने के बाद दक्षिणी ध्रुव के आसपास दर्जनों समान रडार प्रतिबिंब पाए हैं।

बेहद ठंडे इलाके में नहीं मौजूद हो सकता तरल

उनके अनुसार, जिन क्षेत्रों में पहले झीलें होने का दावा किया गया था, वहां पानी तरल अवस्था में मौजूद हो इसकी बेहद कम संभावना है, क्योंकि वे क्षेत्र बेहद ठंडे हैं। इतने ठंडे वातावरण में पानी तरल अवस्था में नहीं रह सकता है। एएसयू के स्कूल आफ अर्थ एंड स्पेस एक्सप्लोरेशन के आदित्य खुल्लर के मुताबिक, आमतौर पर रडार तरंगें किसी सामग्री के माध्यम से यात्रा करते समय ऊर्जा खो देती हैं। इसलिए गहराई से प्रतिबिंब सतह से कम चमकदार होनी चाहिए।

चमकदार होने की कई वजहें

हालांकि, उपसतह के असामान्य रूप से चमकदार होने के कुछ और कारण भी हो सकते हैं। इन दो अध्ययनों से निष्कर्ष निकाला गया था कि तरल अवस्था में मौजूद पानी इन चमकदार प्रतिबिंबों का कारण हो सकता है, क्योंकि तरल अवस्था में पानी रडार पर चमकदार दिखाई देता है। मूल रूप से मार्टियन साउथ पोलर लेयर्ड डिपॉजिट के अपेक्षाकृत छोटे क्षेत्र में लगभग 10 से 20 किलोमीटर तक तरल पानी होने की परिकल्पना की गई थी।

नए अध्ययन में यह आया सामने

नए अध्ययन के लिए विज्ञानियों के दल ने मंगल ग्रह के दक्षिण ध्रुवीय क्षेत्र का विस्तार से अध्ययन किया। 15 वर्षो के दौरान एकत्र की गई 44 हजार मापों के डाटा का विश्लेषण रेडियो सिग्नल्स से किया गया। इसमें पूर्व में किए गए अध्ययन की तुलना में चमकदार प्रतिबिंबों की संख्या अधिक मिली।

चमकदार सतहें पानी नहीं

कुछ स्थानों पर तो ऐसी चमकदार सतह एक मील के करीब थीं, जहां तापमान शून्य से 63 डिग्री सेल्सियस कम होने का अनुमान है। इतने ठंडे वातावरण में तो पानी जम जाता है, भले ही उसमें नमकीन खनिज मिले हों। ऐसे में इन चमकदार सतहों के पानी होने की बात सही साबित होती प्रतीत नहीं होती।

…और अध्ययन की जरूरत

नासा के जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी (जेपीएल) के जेफरी प्लाट के मुताबिक, हम यह स्पष्ट नहीं कर सकते कि ये सिग्नल्स तरल अवस्था में मौजूद पानी के हैं या नहीं, लेकिन वे मूल पेपर की तुलना में कहीं अधिक व्यापक प्रतीत होते हैं। मंगल के दक्षिणी ध्रुव के नीचे या तो तरल पानी आम है, या ये सिग्नल्स किसी और चीज की तरफ इशारा करते हैं। फिलहाल इस पर और अध्ययन की आवश्यकता है।

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